
China on Indo-Pak Ceasefire: 31दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक नया मोड़ आया जब चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता का दावा किया। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इसी तरह के दावे के ठीक बाद आया है, जिसमें उन्होंने भी दोनों देशों के बीच के संघर्ष को सुलझाने में अपनी भूमिका बताई थी। लेकिन भारत ने दोनों दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह द्विपक्षीय मुद्दा था और किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं पड़ी।
ट्रंप के दावे के बाद चीन की एंट्री
बता दें, कुछ दिन पहले ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत में भारत-पाकिस्तान युद्ध को सुलझाने का श्रेय खुद को दिया था, लेकिन इसका कोई ठोस आधार नहीं दिखा। वहीं, अब चीन ने इसी राह पर चलते हुए अपना दावा ठोक दिया है। वांग यी ने 30दिसंबर को एक विदेश नीति सम्मेलन में कहा कि बीजिंग ने कई वैश्विक हॉटस्पॉट्स को शांत करने में भूमिका निभाई, जिसमें भारत-पाकिस्तान तनाव शामिल है। उन्होंने शांति जो टिकाऊ हो बनाने पर जोर दिया और चीन की मध्यस्थता को वैश्विक स्थिरता का हिस्सा बताया। यह दावा मई 2025के उस संघर्ष की याद दिलाता है, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक सैन्य टकराव चला।
भारत की सख्त प्रतिक्रिया
तो वहीं, भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत-पाकिस्तान मुद्दे हमेशा द्विपक्षीय रहे हैं और किसी बाहरी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं। भारत ने स्पष्ट किया कि संघर्ष का समाधान दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत से हुआ, जिसमें सीजफायर की बहाली शामिल थी। ऐसे में पाकिस्तान के प्रति चीन की झुकाव वाली नीति को देखते हुए, इस दावे को बीजिंग की पाकिस्तान समर्थन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पाकिस्तान का किया था समर्थन
दूसरी तरफ, पाकिस्तान ने चीन के बयान पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन बीजिंग का पाकिस्तान के साथ गहरा रिश्ता जगजाहिर है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) जैसे प्रोजेक्ट्स से लेकर सैन्य सहयोग तक, चीन हमेशा इस्लामाबाद का साथ देता रहा है। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीन ने पाक को समर्थन दिया, लेकिन मध्यस्थता का कोई प्रमाण नहीं मिला।
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