समुद्र के एक हिस्से के लिए क्यों पूरी दुनिया से लोहा लेने तैयार है ड्रेगन? जानें आखिर कौन सा छिपा है खजाना

समुद्र के एक हिस्से के लिए क्यों पूरी दुनिया से लोहा लेने तैयार है ड्रेगन? जानें आखिर कौन सा छिपा है खजाना

South China Sea: दक्षिण चीन सागर में चीन-फिलीपींस विवाद पर विदेश मंत्री जयशंकर ने फिलीपींस के समर्थन में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखने में फिलीपींस का पुरजोर समर्थन करता है। जयशंकर ने मनीला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही। अभी कुछ दिन पहले ही चीन के कोस्ट गार्ड ने दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की एक नाव पर वॉटर कैनन से हमला किया था।

इतना ही नहीं, चीन फिलीपींस के अलावा कई अन्य देशों के साथ भी क्षेत्रीय दावों को लेकर लड़ रहा है। आइए समझते हैं कि दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन दुनिया से दुश्मनी क्यों निभा रहा है।

दक्षिण चीन सागर किन देशों के बीच संघर्ष की जड़ है?

दक्षिण चीन सागर हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच है। यह क्षेत्र चीन, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस से घिरा हुआ है। इंडोनेशिया के अलावा बाकी सभी देश इस क्षेत्र के कुछ हिस्से को अपना बताते हैं। सतही तौर पर देखें तो यहां लगभग 250 छोटे-बड़े द्वीप हैं और लगभग सभी द्वीप निर्जन हैं। इनमें से कुछ तो कई महीनों तक पानी में डूबे रहते हैं, जबकि कुछ अब पूरी तरह डूब चुके हैं। फिर भी कई देश इस क्षेत्र को हासिल करने के लिए संघर्ष क्यों कर रहे हैं? ऐसा आर्थिक, सामरिक और ऐतिहासिक कारणों से हो रहा है।

क्या है 9 डैश लाइन?

1939 से 1945 तक पूरे दक्षिण चीन सागर पर जापान का कब्ज़ा था। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद चीन ने अपना कब्ज़ा बढ़ाना शुरू कर दिया। चीन का दावा है कि दो हजार साल पहले चीनी नाविकों और मछुआरों ने सबसे पहले दक्षिण चीन सागर की खोज की, इसका नाम रखा और यहां काम करना शुरू किया। इन्हीं बातों का हवाला देते हुए चीन सरकार ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद आधिकारिक तौर पर इलाके का नक्शा जारी किया था। इसमें 9 लाइनों के जरिए दक्षिण चीन सागर के 30 लाख वर्ग किलोमीटर के बड़े हिस्से और लगभग सभी द्वीपों को इसका हिस्सा दिखाया गया था। इन रेखाओं को नौ डैश रेखाएँ कहा जाता है।

समुद्र के नीचे छिपा है अरबों का खजाना

चीन के लिए समुद्र का यह टुकड़ा सिर्फ ऐतिहासिक महत्व तक सीमित नहीं है। दरअसल, यह जगह आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। दावा किया जाता है कि समुद्र के इस टुकड़े के नीचे कच्चे तेल का खजाना मिल सकता है। हालाकिं, ख़ज़ाने की सही मात्रा के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। यह स्थान आसपास के मछुआरों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। यहां 30 हजार तरह की मछलियां मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण चीन सागर में मछली पालन का करोड़ों रुपये का कारोबार होता है।

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