Congress Party: 24 घंटे में I.N.D.I.A. गठबंधन को लगे 3 बड़े झटके, अब क्या करेगी कांग्रेस ?

Congress Party: 24 घंटे में I.N.D.I.A. गठबंधन को लगे 3 बड़े झटके, अब क्या करेगी कांग्रेस ?

Congress Party: लोकसभा चुनाव में केवल 2 महीने का वक्त रह गया है। लेकिम चुनावी दुंदुभी बजने से पहले ही विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को लगातार झटके लग रहें हैं।बिखरे हुए विपक्ष को एकजुट करने की सबसे पहले पहल करने वाले नीतीश कुमार के अलग होने के झटके से गठबंधन उबरा भी नहीं था कि आरएलडी के जयंत चौधरी भी विपक्ष के लिए बेगाने हो गए। ये झटके तो पुराने हो गए। पिछले 24 घंटे में ही ऐसे 3 सियासी घटनाक्रम हो चुके हैं जो इशारा करते हैं कि विपक्ष की हालत कितनी खराब है। आइए देखते हैं क्या हैं ये 3 घटनाक्रम।

सोनिया गांधी नेसंसद में एंट्री करने का आपनाया 'पिछला दरवाजा'

विपक्ष की मुख्य नेता और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष, सोनिया गांधी ने लोकसभा के बजाय राज्यसभा से संसद में जाने का निर्णय लिया है। राजस्थान से पर्चा भरने के अगले दिन, गुरुवार को उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र यूपी के रायबरेली की जनता के नाम एक बड़े ही भावुक खत लिखा। इस निर्णय से रायबरेली में कांग्रेस के कार्यकर्ता निराश होंगे। सोनिया ने खत में स्वास्थ्य सम्बंधी कारणों से लोकसभा चुनाव लड़ने में असमर्थ होने की बात की। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि बिना रायबरेली के, उनका परिवार अधूरा है। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि अब उनकी जगह पर उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। सोनिया गांधी का रायबरेली से हटना देश के सबसे बड़े सूबे में कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है।

पूरे राज्य में लोकसभा की एक यही तो सीट थी जो कांग्रेस के खाते में थी। 2019 के चुनाव में यूपी में गांधी परिवार को एक और मजबूत गढ़ अमेठी कांग्रेस के हाथ से छिन चुका है। वहां राहुल गांधी को बीजेपी की स्मृति इरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। यही वजह है कि सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने पर बीजेपी कह रही है कि उनको भी रायबरेली में '2019 के अमेठी' दोहराए जाने का डर था यानी हार का डर था। हालांकि, अगर प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़ती हैं तो वहां निराश कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश आ सकता है।

क्या नैशनल कॉन्फ्रेंस भी कांग्रेस को छोड़ेगी?

गुरुवार को ही एक अन्य घटनाक्रम विपक्षी गठबंधन और खासकर कांग्रेस की चिंता बढ़ाने वाला रहा। नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने ये कहकर चौंका दिया कि उनकी पार्टी लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ेगी और उन्हें बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए से भी कोई परहेज नहीं है। हालांकि, उनके इस बयान के बाद उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने सफाई दी कि नैशनल कॉन्फ्रेंस विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. का हिस्सा बनी हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत अभी चल रही है।नैशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की 6 लोकसभा सीटों में से 3 सीटों पर लड़ना चाहती है। वह चाहती है कि कांग्रेस सिर्फ जम्मू रीजन की सीटों पर लड़े लेकिन ग्रैंड ओल्ड पार्टी जम्मू के साथ-साथ कश्मीर में भी एक सीट या फिर लद्दाख से भी चुनाव लड़ना चाहती है। विपक्षी गठबंधन अबतक कागजों में ही दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी ने कांग्रेस समेत बाकी पार्टियों को एक भी सीट नहीं देने का ऐलान किया है। इसी तरह आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सभी 13 सीटों पर लड़ने का एकतरफा ऐलान किया है। इतना ही नहीं, पार्टी ने दिल्ली की 7 सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने का ऐलान किया है जो उसे मंजूर नहीं है।

स्पीकर राहुल नार्वेकर ने भी माना, अजीत पवार की पार्टी ही असली एनसीपी

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की अगुआई वाली एनसीपी को ही 'असली एनसीपी' करार दिया है। उन्होंने शरद पवार गुट की तरफ से अजीत गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिकाओं को खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया। स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि अजीत पवार की पार्टी ही असली एनसीपी है लिहाजा उसके विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।इससे पहले चुनाव आयोग फैसला कर ही चुका है कि एनसीपी पर अजीत पवार का ही नियंत्रण रहेगा। आयोग ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अजीत पवार के दावे को सही पाया है। एनसीपी के संस्थापक शरद पवार को अपनी नई पार्टी के लिए नया नाम 'एनसीपी शरद चंद्र पवार' रखा है। एनसीपी की तरह ही महाराष्ट्र में शिवसेना भी दो फाड़ हो चुकी है। स्पीकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाले धड़े को ही असली शिवसेना माना है। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाले धड़े का नाम अब शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) है।

 

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