गाजियाबाद में अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़, 4 आरोपी गिरफ्तार

गाजियाबाद में अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़, 4 आरोपी गिरफ्तार

UP Crime: गाजियाबाद में एक अवैध हथियार गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। यहां लाखों रुपये की मशीनों से हथियार बनाए जा रहे थे। नोएडा में पुलिस ने एक बिना नंबर की ब्रेजा गाड़ी जब्त की है, जिसमें भारी मात्रा में अवैध हथियार और उन्हें बनाने का सामान बरामद हुआ है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए पुलिस अलर्ट मोड पर है। लगातार बैरियर लगाकर सघन जांच की जा रही है। इसी क्रम में एक सूचना पर थाना इकोटेक-3 पुलिस और क्राइम डिटेक्शन टीम नोएडा सेंट्रल ने चौगानपुर चौराहे के पास बिना नंबर प्लेट की एक ब्रेज़ा गाड़ी पकड़ी है, जिसमें चार लोग सवार थे। गाड़ी की तलाशी के दौरान पुलिस को गाड़ी से भारी मात्रा में अवैध हथियार और हथियार बनाने का सामान बरामद हुआ। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

कौन है इस फैक्ट्री का मास्टरमाइंड?

इस अवैध फैक्ट्री का मास्टरमाइंड नसीम अहमद का बेटा शाह फहद है। इस गिरोह के अन्य सदस्य बादल, शिवमपाल और सादिक हैं। डीसीपी नोएडा सेंट्रल निधि सिंह ने बताया कि शाह फहद उर्फ ​​शानू ने गाजियाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और अपनी पत्नी के नाम पर लियो पारद इंडिया इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी चलाता है। ये हथियार फैक्ट्री के अंदर चोरी-छिपे बनाए जा रहे थे। जब कोई ग्राहक आरोपियों से संपर्क करता है तो आरोपी एक-दो दिन का समय लेते हैं और उसकी मांग के अनुसार उसे तमंचा और पिस्टल उपलब्ध करा देते हैं।

कितने में बेचे जाते हैं ये अवैध हथियार?

एक पिस्टल करीब 10 हजार रुपये और एक पिस्टल करीब 80 हजार रुपये में बिकती है। आरोपी और उसके साथियों से बरामद अवैध हथियार उसकी कंपनी द्वारा बनाए गए थे। इन बदमाशों ने अपनी कंपनी मोरटा गाजियाबाद में स्पेयर पार्ट्स तैयार करने के लिए लाखों रुपये की बड़ी मशीनें लगा रखी हैं।

डीसीपी सेंट्रल सुनीति सिंह ने बताया कि उनके पास से जो सामान बरामद हुआ है, उसमें एक ब्रेजा कार भी है। इसके जरिए उपकरण और हथियार ले जाए जा रहे थे। उनके पास से एक पिस्तौल, 8 देशी पिस्तौल और भारी मात्रा में हथियार बनाने के उपकरण बरामद किये गये। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि लोकसभा चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लगने के बाद पुलिस की सख्ती बढ़ गई थी।

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