पूरी दुनिया के दबाव के बावजूद रूसी तेल से भारत को हुआ बड़ा फायदा, वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान बचाए 8 अरब डॉलर

पूरी दुनिया के दबाव के बावजूद रूसी तेल से भारत को हुआ बड़ा फायदा, वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान बचाए 8 अरब डॉलर

India Oil Import From Russia: रूस-यूक्रेन युद्ध की खबरों के बीच भी जब भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा तो काफी हंगामा हुआ। हालाँकि, तमाम आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए भारत सरकार ने रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात करना जारी रखा। अब इस कदम के नतीजे सामने आ रहे हैं जो आपको हैरान कर सकते हैं।

रूस से कच्चा तेल खरीदना भारत के लिए रहा फायदेमंद

पश्चिमी दबाव के बावजूद रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखने की भारत की रणनीति के अच्छे नतीजे आए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों के दौरान देश के तेल आयात बिल में करीब 7.9 अरब डॉलर की बचत हुई है। इससे देश को चालू खाता घाटा कम करने में भी मदद मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार मास्को के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखने के लिए दृढ़ है।

व्यापार ट्रैकिंग एजेंसियों केप्लर और एलएसईजी ने आंकड़ों का हवाला दिया है जिसके अनुसार भारत ने इस साल अप्रैल में एक महीने पहले की तुलना में अधिक रूसी तेल का आयात किया। हालाँकि इराक और सऊदी अरब से कम आयात किया गया। आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल के दौरान आयात में 13-17 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, उसके बाद इराक और सऊदी अरब थे। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि इराक से उसके तेल आयात में 20-23 प्रतिशत की गिरावट आई है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आँकड़े

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि रूस से आयातित कच्चे पेट्रोलियम की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022 में 2 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 के 11 महीनों में 36 प्रतिशत हो गई। इस अवधि के दौरान, पश्चिम एशियाई देशों (सऊदी अरब) से आयात, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत 23 फीसदी पर आ गये, जो पहले 34 फीसदी था।

रूसी तेल के कारण आयात बिल में भारी बचत हुई - आईसीआरए

आईसीआरए की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 के 11 महीनों में रूस से आयात पश्चिम एशिया की तुलना में 16.4 प्रतिशत कम दर पर था। रूस से आयात का अनुमानित इकाई मूल्य शेष विश्व की तुलना में बहुत कम रहा। आईसीआरए का अनुमान है कि इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2023 में भारत के तेल आयात बिल में 5.1 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2024 के 11 महीनों में 7.9 बिलियन डॉलर की बचत हुई है। इसके चलते वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी)/जीडीपी अनुपात घटकर 0.15-0.22 फीसदी रह गया।

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