Sankashti Chaturthi 2024: आज पूरे देश में संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सनातन धर्म में महत्वपूर्ण होता है, और इसे भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को चतुर्थी तिथि को बृहस्पतिवार को किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से गणेश भक्तों द्वारा अपनाया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त अनुसार पूजा अथवा उपवास की जानी चाहिए। विधि के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से आपको मनचाहा फल मिल सकता है। पूजा के दौरान गणेश चालीसा या अन्य गणेश भजनों का पाठ करें और उन्हें अर्पित करें।
इस व्रत को अच्छे से मान्य करने के लिए निम्नलिखित मुहूर्त का ध्यान रखें:
सुबह ( सूर्य उदय के पहले समय) या संध्या काल (सूर्यास्त के पहले समय) में पूजा करना अधिक शुभ माना जाता है। इस व्रत का विधि उपाय के अनुसार करें। उपासना में नियमित रूप से अपने मन को शुद्ध करें और गणेश जी के प्रति विश्वास और श्रद्धा बनाए रखें।
संकष्टी चतुर्थी पर सुबह की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 मार्च को सुबह 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। संकष्टी चतुर्थी पर शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 मार्च को शाम 5 बजकर 4 मिनट से शाम 6 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। 28 मार्च को चंद्रोदय का समय, रात 8 बजकर 58 मिनट पर रहेगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि:
उपवास (व्रत):संकष्टी चतुर्थी के दिन उपवास रखें। किसी भी विशेष आहार की व्यापक सिमाएं नहीं होती हैं, लेकिन आमतौर पर लोग फल, सब्जियाँ, और दूध आदि का सेवन करते हैं।
पूजा की सामग्री:पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
गणेश मूर्ति या गणेश की फोटो
गंगाजल या स्नान के लिए पानी
गुड़, घी, मिश्री, फूल, धूप, दीप, अक्षत, सुपारी, इलायची, लौंग, सिंदूर, कुमकुम, चावल, फल, और पुष्प।
पूजा की विधि:
पूजा का आरंभ गणेश मंत्रों और श्लोकों का पाठ करके करें।
गणेश मूर्ति को स्नान कराएं।
उसके बाद, उसे साफ पानी से धोकर सुखा लें।
अब, मूर्ति को कुमकुम और चांदन से सजाएं।
फिर, गणेश चालीसा या अन्य भजन पढ़ें या सुनें।
पूजा के बाद, प्रसाद बाँटें। धन्यवाद करें और अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें।
कथा और व्रत कथन:व्रत के दिन कोई गणेश कथा या व्रत कथन सुनें और उसे अपने परिवार के साथ साझा करें।
परायण (जप):इस दिन गणेश मंत्रों या गणेश जी के नामों का जाप करें। इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
निर्विघ्नता का प्रार्थना:ध्यान के साथ, गणेश जी से अपनी सभी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें और उनसे निर्विघ्नता की आशीर्वाद प्राप्त करें।
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