
Importance of Lauki Bhat in Chhath Puja: छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, जिसमें प्रकृति की पूजा, शुद्धता और समर्पण की भावना प्रमुख होती है। चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत कठिन नियमों से भरा होता है, जिसमें उपवास, नदी स्नान और अर्घ्य देने की परंपराएं शामिल हैं। साल 2025में छठ पूजा 25अक्टूबर (शनिवार) से शुरू हो चुकी है, जो नहाय खाय के साथ आरंभ होती है। इसके बाद 26अक्टूबर को खरना, 27अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 28अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होगी।
नहाय खाय का महत्व
नहाय खाय छठ पूजा का पहला दिन है, जिसका अर्थ है 'स्नान और भोजन'। इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) सुबह-सुबह किसी पवित्र जल स्रोत, जैसे गंगा नदी या तालाब में डुबकी लगाते हैं। यह स्नान शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक है, जो पूरे व्रत की तैयारी करता है। स्नान के बाद, व्रती केवल एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। सात्विक भोजन का अर्थ है शुद्ध, शाकाहारी और सरल व्यंजन, जिसमें प्याज, लहसुन जैसी तामसिक चीजें शामिल नहीं होतीं। यह भोजन व्रत के दौरान ऊर्जा प्रदान करता है और आत्मिक शांति बढ़ाता है। इस दिन का मुख्य व्यंजन लौकी-भात होता है, जो लौकी (बोतल गॉर्ड) और चावल से तैयार किया जाता है। यह पौष्टिक, हल्का और पाचन के लिए आसान होता है, जो व्रत की कठिनाइयों के लिए शरीर को तैयार करता है।
लौकी-भात: एक सात्विक भोजन
लौकी-भात छठ पूजा के दौरान विशेष रूप से तैयार किया जाने वाला व्यंजन है। लौकी को शीतल और पौष्टिक माना जाता है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करती है और पेट संबंधी समस्याओं से बचाती है। यह भोजन छठी मैया को प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है, जो समर्पण और संयम का प्रतीक है। सात्विक होने के कारण इसमें केवल शुद्ध सामग्री का उपयोग होता है, जैसे घी, जीरा और सेंधा नमक। यह व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहत के लिए अच्छा होता है, क्योंकि लौकी में पानी की मात्रा अधिक होती है और यह वजन नियंत्रण में मदद करती है।
सामग्री (4लोगों के लिए)
चावल तैयार करना:
लौकी की सब्जी तैयार करना
Leave a comment