
History of Christmas Tree Star: क्रिसमस का त्योहार आते ही घरों में सजाए जाने वाले क्रिसमस ट्री की चमक और रौनक हर किसी को मोहित कर लेती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस ट्री के सबसे ऊपर चमकने वाला तारा आखिर कहां से आया और उसकी कहानी क्या है? यह तारा सिर्फ एक सजावटी वस्तु नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा और धार्मिक महत्व का प्रतीक है। तो चलिए, इसकी ऐतिहासिक यात्रा पर नजर डालते हैं, जो बाइबिल की कहानियों से जुड़ी है और समय के साथ विकसित हुई है।
जीसस क्राइस्ट के साथ प्रकट हुआ बेथलेहम का तारा
क्रिसमस ट्री के टॉप पर लगने वाले तारे की जड़ें ईसाई धर्म की पवित्र किताब बाइबिल में हैं, खासकर मैथ्यू की सुसमाचार में। यहां वर्णित है कि जब जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ, तो पूर्व दिशा में एक चमकदार तारा प्रकट हुआ, जिसे 'स्टार ऑफ बेथलेहम' कहा जाता है। यह तारा तीन बुद्धिमान पुरुषों (मैगी) को मार्गदर्शन देकर बच्चे जीसस तक पहुंचाता है, जो उनके जन्म की खुशखबरी का प्रतीक बनता है।
यह तारा न सिर्फ रोशनी का स्रोत था, बल्कि दिव्य संकेत के रूप में देखा जाता है, जो आशा, मार्गदर्शन और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। यह कहानी क्रिसमस की मूल भावना से जुड़ी है, जहां तारा जीसस के जन्म की घोषणा करता है। मोरावियन चर्च ने 19वीं शताब्दी में इस तारे को अपनाया और इसे नैटिविटी सीन में शामिल किया, जो धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री की सजावट का हिस्सा बन गया।
प्राचीन रिवाज से आधुनिक सजावट तक
क्रिसमस ट्री की परंपरा खुद जर्मनी से शुरू हुई, जहां सदाबहार पेड़ों को सजाना प्राचीन काल से प्रचलित था। लेकिन ट्री के ऊपर तारे की परंपरा 1840के दशक से मानी जाती है, जब इसे स्टार ऑफ बेथलेहम के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। शुरुआत में, क्रिसमस ट्री के शीर्ष पर जीसस की छोटी मूर्ति लगाई जाती थी, लेकिन समय के साथ यह एंजेल या तारे में बदल गई। एंजेल जीसस के जन्म की सूचना देने वाले स्वर्गदूतों का प्रतीक है, जबकि तारा सीधे बेथलेहम की घटना से जुड़ा है।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, इस तारे में पैगन (प्राचीन गैर-ईसाई) प्रभाव भी हैं। प्राचीन यूरोपीय संस्कृतियों में, सर्दियों के उत्सवों में सदाबहार पेड़ों को सजाना और ऊपर चमकदार चीजें लगाना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक था। बाद में, ईसाई प्रभाव से यह बाइबिल की कहानी से जुड़ गया। उदाहरण के लिए, पेड़ पर मोमबत्तियां लगाना रोशनी का प्रतीक था, जो तारे की चमक से मेल खाता है। आज के समय में, क्रिसमस ट्री का ऊपरी तारा सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह सार्वभौमिक आशा का प्रतीक बन गया है। दुनिया भर में लोग इसे सजाते हैं, चाहे वे ईसाई हों या नहीं।
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