‘अब समय आ गया है कि हम...’ लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर बोले प्रधानमंत्री मोदी

‘अब समय आ गया है कि हम...’ लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर बोले प्रधानमंत्री मोदी

Parliament Winter Sessionशीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि "वंदे मातरम् की शुरुआत बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने 1875 में की थी, यह गीत उस समय लिखा गया था जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी, भारत पर भांति-भांति के दबाव डाल रही थी, भांति-भांति के जुल्म कर रही थी। उस समय उनके राष्ट्र गीत को घर-घर तक पहुंचाने का षड्यंत्र चल रहा था, ऐसे समय में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और उसमें से वंदे मातरम् का जन्म हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहां कोई नेतृत्व और विपक्ष नहीं है। हम सब सामूहिक रूप से वंदे मातरम के ऋण को स्वीकार करने और उसकी सराहना करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। इस गीत के कारण ही हम सब यहां एक साथ हैं। यह हम सभी के लिए वंदे मातरम के ऋण को स्वीकार करने का एक पवित्र अवसर है। इसने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक राष्ट्र को एकजुट किया। अब समय आ गया है कि हम फिर से एकजुट हों और सभी के साथ मिलकर आगे बढ़ें। यह गीत हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित और ऊर्जावान करे। हमें 2047 तक अपने राष्ट्र को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के संकल्प को दोहराना होगा।

वंदे मातरम्, सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था- पीएम मोदी

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम्, सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था। सिर्फ अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाएं, वंदे मातरम् सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था। आजादी की लड़ाई, इस मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी। मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र जंग थी। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम्, सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था। सिर्फ अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाएं, वंदे मातरम् सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था। आजादी की लड़ाई, इस मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी। मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र जंग थी।

वंदे मातरम् का जो जनजन से जुड़ाव था- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् का जो जन–जन से जुड़ाव था, वह हमारे स्वतंत्रता संग्राम की एक लंबी गाथा की अभिव्यक्ति बन जाता है।जब भी किसी नदी की चर्चा होती है, तो उस नदी के साथ एक सांस्कृतिक धारा-प्रवाह, एक विकास-यात्रा की धारा-प्रवाह, एक जन–जीवन की धारा-प्रवाह स्वतः जुड़ जाती है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि आजादी की जंग की पूरी यात्रा वंदे मातरम् की भावनाओं से होकर गुजरती थी?ऐसा भाव-काव्य शायद दुनिया में कहीं उपलब्ध नहीं होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेज समझ चुके थे कि 1857 के बाद भारत में लंबे समय तक टिक पाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। जिस प्रकार के सपने लेकर वे आए थे, उन्हें यह साफ दिखने लगा कि जब तक भारत को बांटा नहीं जाएगा, लोगों को आपस में लड़ाया नहीं जाएगा, तब तक यहां राज करना कठिन है। तब अंग्रेज़ों ने ‘बांटो और राज करो’ का रास्ता चुना, और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया।

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