3 सालों से साइबर गैंग का गंदा खेल...गेमिंग एप के जरिए ठगे ₹2 करोड़, जानें इस फ्रॉड में कैसे फंसा पीड़ित?

3 सालों से साइबर गैंग का गंदा खेल...गेमिंग एप के जरिए ठगे ₹2 करोड़, जानें इस फ्रॉड में कैसे फंसा पीड़ित?

Lucknow Businessman Cyber Fraud:डिजिटल दुनिया के चकाचौंध में छिपे खतरे अब आम आदमी की जिंदगी को तबाह कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक व्यापारी से ऑनलाइन गेमिंग ऐप के जरिए करीब 2 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। आरोपी गैंग ने पीड़ित को तीन साल तक हिप्नोटाइज करके डर और लालच का जाल में फसाए रखा। लखनऊ साइबर पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन ये घटना पूरे देश में साइबर फ्रॉड के बढ़ते खतरे की घंटी बजा रही है। 

एक मैसेज ने उजाड़ दी जिंदगी

दरअसल, ये मामला इंदिरानगर निवासी 45 वर्षीय व्यापारी भूरी सिंह एक सफल कारोबारी का हैं, जिसका टेक्सटाइल का बिजनेस हैं। लेकिन अचानक उनकी जिंदगी में मुसीबत तब दस्तक दी, जब तीन साल पहले उनके मोबाइल पर एक संदिग्ध मैसेज आया। मैसेज में 'आपका पैसा होगा डबल' जैसे लुभावने वादे थे। जो SKY247 नामक ऑनलाइन गेमिंग ऐप को डाउनलोड करने को कह रही थी। भूरी सिंह ने उत्सुकता में ऐप इंस्टॉल कर लिया, जो बाहर से एक सामान्य बेटिंग और गेमिंग प्लेटफॉर्म लगता था। लेकिन अंदर का खेल खतरनाक था।

ऐप पर रजिस्ट्रेशन के बाद, भूरी सिंह छोटे-छोटे निवेश के जरिए जीतता रहा। पहले 5,000 रुपये निवेश पर 10,000 का रिटर्न मिला, फिर 20,000 पर दोगुना। लेकिन ये छोटी जीतें एक जाल का हिस्सा थीं, जो लालच को बढ़ावा देती रहीं। धीरे-धीरे निवेश की रकम बढ़ती गई – लाखों, फिर करोड़ों तक। कुल मिलाकर, तीन साल में 1.98 करोड़ रुपये के करीब ट्रांजैक्शन हो गए, जो विभिन्न बैंक खातों और UPI आईडी में ट्रांसफर किए गए। पीड़ित ने बताया कि ठगों ने वीडियो कॉल और चैट के जरिए उन्हें हिप्नोटाइज" किया और कंट्रोल में ले लिया। भूरी सिंह ने पुलिस को बताया 'वे कहते थे कि अगर पैसे वापस मांगे तो जेल हो जाएगी या फिर और निवेश से सब ठीक हो जाएगा।'

हिप्नोटिज्म का खतरनाक खेल

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, ये कोई जादू-टोना नहीं, बल्कि "सोशल इंजीनियरिंग" का उन्नत रूप है। ठगों ने भूरी सिंह को लगातार कॉल्स और मैसेजेस किए, जहां वे खुद को मेंटर या सफल निवेशक बताते। हिप्नोटिक तकनीक में दोहराव, विश्वास निर्माण और इमोशनल ब्लैकमेल शामिल था, जैसे कभी जीत के स्क्रीनशॉट दिखाकर लालच, तो कभी अकाउंट ब्लॉक या लीगल एक्शन का डर। एक बार जाल में फंसने के बाद, पीड़ित खुद-ब-खुद ट्रांजैक्शन करता रहा। ये गैंग संभवतः विदेशी सर्वर से ऑपरेट हो रहा था, जहां से IP ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है। लखनऊ साइबर क्राइम सेल के एसएसपी मनोज कुमार ने बताया 'ये ठगी तीन साल से चल रही थी। हमने पीड़ित के बैंक स्टेटमेंट्स और ऐप लॉग्स से 20 से ज्यादा संदिग्ध खाते ट्रेस किए हैं। जांच में अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन मिलने की संभावना है।' 

बता दें, शिकायत मिलते ही लखनऊ साइबर पुलिस ने केस नंबर: 2025/11/05/0456, IPC धारा 420, 467 और IT एक्ट 66C/66D के तहत तुरंत FIR दर्ज की। टीम ने पीड़ित के फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है, जहां ऐप का APK फाइल एनालिसिस हो रहा है। बैंक डिटेल्स से जुड़े खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एसएसपी ने कहा 'हम NCRB के साइबर पोर्टल से मिले क्लूज पर काम कर रहे हैं। अगर गैंग के अन्य सदस्य पकड़े गए, तो और खुलासे होंगे।'  

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