आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत; जानें प्रदूषण से कैसे करें खुद का बचाव?

आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत; जानें प्रदूषण से कैसे करें खुद का बचाव?

Air Pollution: दिवाली के मौके पर जहां हर तरफ खुशियों और रोशनी की बहार है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की हवा जहरीली होती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिवाली पर दिल्ली में वायु गुणवत्ता बहुत खराब और गंभीर श्रेणी में पहुंच चुकी है। AQI लेवल 550से भी पार हो चुका है। WHO के अनुसार, 2019में दुनिया की 99%आबादी ऐसी जगहों पर रह रही थी जहां वायु गुणवत्ता मानकों से नीचे थी। लेकिन 2025में जंगल की आग और वाहनों से निकलने वाले धुएं ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया है। जिस वजह से लोग आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं। तो आइए जानते हैं इस समस्या से खुद को कैसे बचाएं।

प्रदूषण आंखों पर कैसे असर डालता है?

वायु प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म कण (जैसे PM2.5), नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य रसायन आंखों की पतली आंसू की परत को प्रभावित करते हैं, जिससे जलन, सूखापन और असुविधा होती है।

सूखी आंखें (ड्राई आई डिजीज):प्रदूषक आंसू की परत को अस्थिर बनाते हैं, जिससे आंखों में जलन, लाली और धुंधलापन बढ़ता है। यह सूजन का एक दुष्चक्र शुरू करता है।

ग्लूकोमा का खतरा:PM2.5जैसे कण ग्लूकोमा के विकास से जुड़े हैं, जो आंखों की नसों को नुकसान पहुंचाते हैं।

रेटिनोपैथी और मैकुलोपैथी:मधुमेह रोगियों में प्रदूषण डायबिटिक रेटिनोपैथी का जोखिम बढ़ाता है, जबकि ट्रैफिक प्रदूषण आयु-संबंधित मैकुलर डिजनरेशन (AMD) को प्रेरित करता है।

2023के एक अध्ययन में पाया गया कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोग नियंत्रित क्षेत्रों की तुलना में दोगुनी बार आंखों की लाली और जलन से जूझना पड़ा।

प्रदूषण से सांस लेने में परेशानी

वायु प्रदूषण फेफड़ों के विकास को प्रभावित करता है और अस्थमा, एम्फीसीमा जैसी बीमारियों का कारण बनता है। उच्च प्रदूषण स्तर नाक, गले और फेफड़ों में जलन पैदा करता है -

  1. खांसी और घरघराहट:प्रदूषक सांस की नलियों को परेशान करते हैं, जिससे खांसी और सांस में तकलीफ होती है।
  2. अस्थमा का अटैक:कई बार ये अस्थमा गंभीर हो जाती है, जिससे अस्थमा के अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
  3. फेफड़ों की बीमारियां:लंबे समय तक संपर्क से क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का खतरा बढ़ता है।
  4. सीने में जलन और सांस की कमी:प्रदूषण फेफड़ों की कार्यक्षमता कम करता है। 

प्रदूषण से आंखों को कैसे बचाएं?

  1. घर में एयर प्यूरीफायर लगाना:जब जरूरत ना हो तो घर से बाहर कम निकलें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं और हीटिंग/कूलिंग फिल्टर नियमित बदलें
  2. सुरक्षात्मक चश्मा पहनें:बाहर जाते समय सनग्लासेस या गॉगल्स का इस्तेमाल करें। कॉन्टैक्ट लेंस से बचें, क्योंकि वे कणों को फंसा सकते हैं।
  3. आर्टिफिशियल टीयर्स का उपयोग:प्रिजर्वेटिव-फ्री आई ड्रॉप्स से आंखों को नम रखें और प्रदूषकों को धोएं। 
  4. आंखें न रगड़ें:इससे जलन बढ़ सकती है। अगर सूजन हो, तो डॉक्टर से एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रॉप्स लें।
  5. स्वास्थ्य निगरानी:ग्लूकोमा या डायबिटीज वाले मरीज नियमित जांच कराएं।

प्रदूषण से सांस संबंधी समस्या से कैसे बचें?

  1. बाहर का समय सीमित करें:जब जरूरत हो, तभी घर से बाहर जाएं। बच्चों को 30मिनट से बाहर ना रहने दें। व्यायाम घर के अंदर करें।
  2. मास्क पहनें:बाहर जाते समय मास्क का उपयोग करें।
  3. घर की हवा साफ रखें:खिड़कियां बंद रखें, एयर कंडीशनर को री-सर्कुलेट मोड पर चलाएं। पकाने या वैक्यूमिंग से बचें जब प्रदूषण अधिक हो।
  4. स्वास्थ्य सलाह:अस्थमा या हृदय रोग वाले लोग डॉक्टर की दवाओं का पालन करें और दवाओं का 7-10दिन का स्टॉक रखें।
  5. सामुदायिक प्रयास:कारपूलिंग करें, गैस से चलने वाले उपकरणों से बचें और ऊर्जा बचत करें।

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