
Maulana Madani On Vande Mataram Controversy: संसद में राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर चल रही बहस के बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमानों के लिए मर जाना स्वीकार्य है, लेकिन शिर्क (अल्लाह के अलावा किसी अन्य की पूजा) बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। मदनी ने कहा कि मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करते हैं और अपनी आस्था में किसी अन्य को शामिल नहीं कर सकते। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्हें किसी अन्य व्यक्ति के 'वंदे मातरम्' गाने या पढ़ने पर कोई ऐतराज नहीं है।
वंदे मातरम् पर मौलाना अरशद मदनी का बयान
मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि वंदे मातरम्' में मां दुर्गा का जिक्र है, जो मुसलमानों की आस्था से मेल नहीं खाता, क्योंकि वे सिर्फ अल्लाह की पूजा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान इस्लाम पर जीते हैं और इस्लाम पर ही मरना चाहते हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब संसद में 'वंदे मातरम्' को लेकर चर्चा हो रही है और इसने देश में नई बहस छेड़ दी है। मदनी ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाना गलत है, क्योंकि प्यार दिल की गहराई से आता है।
यह बयान राजनीतिक हलकों में विवाद का विषय बन गया है। कुछ लोगों ने इसे आस्था की अभिव्यक्ति माना, जबकि अन्य ने इसे उत्तेजक बताया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख के रूप में मदनी की यह टिप्पणी मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को प्रतिबिंबित करती है, लेकिन राष्ट्रीय प्रतीकों पर बहस को और गहरा सकती है।
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