
10/11 Delhi Blast: दिल्ली लाल किला के पास हुए कार बम धमाके के मामले में जांच एजेंसियों ने अब फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी को पूरी तरह अपने घेरे में ले लिया है। सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय के 200से ज्यादा डॉक्टर, लेक्चरर और स्टाफ के खिलाफ जांच चल रही है। हॉस्टल और बाहर रहने वाले छात्रों के कमरों की तलाशी ली जा रही है, और अब तक 1000से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि ब्लास्ट के बाद कितने लोग यूनिवर्सिटी छोड़कर गए और उनकी पहचान क्या है।
महिला हिरासत में, अन्य लोगों से भी पूछताछ
जांच में एक 35वर्षीय महिला को हिरासत में लिया गया है, जिसने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी को नूह की हिदायत कॉलोनी में कमरा किराए पर दिया था। इसके अलावा नूह में उमर के संबंध में सात अन्य लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। उमर के परिवार और मोबाइल डेटा की जांच भी एजेंसियों की प्राथमिकताओं में शामिल है।
विश्वविद्यालय के सूत्रों ने बताया कि उमर 2023में बिना सूचना के छह महीने तक गायब रहा और लौटने पर सीधे ड्यूटी पर लग गया। वह सप्ताह में केवल 1-2लेक्चर देता था और हमेशा शाम या रात की शिफ्ट में ही कार्य करता था। डॉक्टरों ने बताया कि अन्य कर्मचारियों को उसकी शिफ्ट और कम पढ़ाने की आदतें अजीब लगती थीं।
अस्थायी कमांड सेंटर स्थापित
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जांच की समन्वयता के लिए परिसर में अस्थायी कमांड सेंटर बनाया गया है। इसमें NIA, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, उत्तर प्रदेश ATS, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच, जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमें काम कर रही हैं।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग स्थित GMC में डॉक्टरों और स्टाफ के लॉकरों की जांच शुरू की गई है। इसी महीने डॉ. अदील राथर के लॉकर से AK-47 बरामद हुआ था। दिल्ली ब्लास्ट और “व्हाइट कॉलर” आतंकी मॉड्यूल के खुलासे ने मेडिकल कॉलेजों में आतंकी कनेक्शन को उजागर किया है। अनक्लेम्ड लॉकरों को चिह्नित किया गया और रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।
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