सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खाप पंचायत संतुष्ट नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खाप पंचायत संतुष्ट नहीं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आनर किलिंग को लेकर खाप पंचायतों बारे दिए फैसलें से खाप पंचायतें संतुष्ट नहीं हैं। खाप पंचायतों ने जहां सरकार व कोर्ट से इस फैसलें पर पुर्नविचार करने की मांग की है

वहीं सामाजिक ताना-बाना कायम रखने के लिए खाप पंचायतों के फैसलें को मान्यता देने की मांग उठाई है। खापों का कहना है कि खाप कभी आनर किलिंग की इजाजत नहीं देती बल्कि आपसी भाईचारा को कायम रखने के लिए कड़े फैसलें लेती हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर खाप प्रधानों व प्रतिनिधियों से बात की तो सबका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसलें पर पुर्नविचार करना चाहिए। अगर ऐसा ही रहा तो आपसी रंजिश बढ़ेगी और खून-खराबा होगा। ऐसे में खापों के निर्णय को कानूनी रूप से मान्यता मिलनी चाहिए। सांगवान खाप 40 के प्रधान सोमबीर सांगवान कहते हैं कि कोर्ट का निर्णय मान्य मगर सामाजिक तानाबाना बनाने के लिए खापों की अहम भूमिका होती है। ऐसे में समाज हित को देखते हुए खापों द्वारा फैसलें लेेने पड़ते हैं। खाप कभी आनर किलिंग की नहीं देती इजाजत और बिना लाग-लपेट के जनहित में फैसला करती हैं। सांगवान के अनुसार एक ही गांव में शादी करना हिंदू धर्म के विरूध, फैसला देने से पूर्व क्षेत्रवाइज सर्वे करवाकर ऐसे फैसले देने चाहिएं।

समाज की परपंपरा कायम रखने के साथ-साथ समाज में भाईचारा व सभी वर्गों में एकता बनाए रखने के लिए पंचायतों के फैसलें सर्वमान्य होने चाहिए। वहीं फौगाट खाप के प्रधान रामदास फौगाट ने कहा कि अंतरजातीय विवाह पर रोक लगे। क्योंकि ऐसा होने से जहां हिंदू धर्म के विरूध होगा वहीं आपसी रंजिश बढ़ेगी। समाज में मनमुनाटव पैदा होते हैं। रामदास फौगाट ने कोर्ट के निर्णय पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए इस निर्णय पर पुर्नविचार करने के साथ-साथ पंचायतों के फैसलें को सरकार व कोर्ट से मान्यता देने की मांग उठाई। वहीं धारौली खाप के प्रतिनिधि रामकरण ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि समाज में एकता बनाए रखने के लिए पंचायतें फैसलें लेती हैं। ऐसे में सरकार व कोर्ट को ऐसे फैसलों की मान्यता देते हुए आपसी भाईचारा कायम रखने में अहम भूमिका निभानी चाहिए। 

 

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