'हवाई किराये को कंट्रोल करने का सरकार के पास है अधिकार', संसद में बोले उड्डयन मंत्री

'हवाई किराये को कंट्रोल करने का सरकार के पास है अधिकार', संसद में बोले उड्डयन मंत्री

Aviation Minister in Parliament: लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने शुक्रवार, 12 दिसंबर को कहा कि  देशभर में हवाई किराए की अधिकतम सीमा लगाना सरकार के लिए व्यावहारिक नहीं है। इसके लिए उन्होंने तर्क दिया कि डी-रेगुलेटेड मार्केट से उपभोक्ताओं को फायदा होता है और त्योहारी सीजन में टिकट के दाम का बढ़ना सही नहीं है।

यात्रियों के फायदे की कही बात

उन्होंने सदन में कहा कि जब डी-रेगुलेशन की नीति लाई गई थी, तो उसका मूल विचार यही था कि इस सेक्टर को तेजी से बढ़ने दिया जाए। दुनिया के जिन देशों में हवाई यातायात ने असाधारण वृद्धि की है, उन सभी ने अपना बाजार डी-रेगुलेटेड रखा है। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग बाजार में आते हैं, आपसी सहयोग बढ़ता है और बाजार के डायनैमिक्स को पूरी तरह काम करने की आजादी मिलती है। मांग और सप्लाई प्राकृतिक नियम से चलते है, जिससे अंत में सबसे ज्यादा फायदा यात्री को ही मिलता है।

सरकार के पास भी अधिकार- उड्डयन मंत्री

हवाई किराए को कंट्रोल करने की मांग से जुड़े एक प्राइवेट मेंबर बिल का जवाब देते हुए नायडू ने कहा कि अगर हम सिविल एविएशन सेक्टर को सच में बढ़ाना चाहते हैं, तो सबसे पहली और जरूरी शर्त यही है कि इसे डी-रेगुलेटेड ही रखा जाए ताकि बाजार में और ज्यादा कंपनियां आ सकें। इसके साथ ही  उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि कंपनियों को पूरी छूट दे दी गई है। जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार के पास हस्तक्षेप करने का अधिकार बचे हुए हैं।

हस्तक्षेप कर सकती है सरकार- राम मोहन नायडू

उन्होंने कहा आगे कहा कि भले ही बाजार डी-रेगुलेटेड है, लेकिन मौजूदा एयरक्राफ्ट एक्ट केंद्र सरकार को असाधारण परिस्थितियों में, जब दुरुपयोग की आशंका हो, हस्तक्षेप करने और स्थिति को ठीक करने का पूरा अधिकार देता है। इसमें किराए की अधिकतम सीमा लगाना भी शामिल है, ताकि यात्रियों से अवसरवादी तरीके से ऊंचे दाम न वसूले जाए। 

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