'अगर मूल निवासी बनना है तो...', हिमंत बिस्वा ने बांग्लादेशी मुस्लिमों के लिए रखें ये शर्ते

'अगर मूल निवासी बनना है तो...', हिमंत बिस्वा ने बांग्लादेशी मुस्लिमों के लिए रखें ये शर्ते

Assam Muslim Population: प्रवासी बांग्लादेशी मूल के बंगाली भाषी मुसलमानों को राज्य का मूल निवासी बनने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कुछ शर्तें रखी हैं। बता दें, बांग्लादेश मूल के बंगाली भाषी मुसलमान को 'मिया' के नाम पहचाना जाता है। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने विशिष्ट शर्तों की रूपरेखा उनके लिए तैयार की हैं। सरमा ने शनिवार को इस बात पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि मूल निवासी माने जाने के लिए व्यक्तियों को असमिया समाज के कुछ सांस्कृतिक मानदंडों और प्रथाओं का पालन करना जरूरी होगा।

तय की ये शर्तें

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने मूल निवासी बनने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। जिसमें में दो बच्चे हों, बहुविवाह से बचना और नाबालिग बेटियों की शादी को रोकना शामिल है। सीएम ने कुछ समूहों द्वारा 'satras'(वैष्णव मठों) की भूमि पर अतिक्रमण पर चिंता व्यक्त की है। इस दौरान उन्होंने असमिया सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान करने के महत्व पर जोर भी दिया।

'मदरसों के बजाय स्कूल जाएं बच्चे'

इस दौरान सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने शर्तें रखी कि मुस्लिम समुदाय से मदरसों के बजाय चिकित्सा और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देने दें। इसके अलावा बेटियों को पढ़ाने की और उन्हें पैतृक संपत्ति पर विरासत का अधिकार देने की बात कही।

असम के 63 फीसदी मुस्लिम बंगाली भाषी

साल 2022 में असम कैबिनेट ने राज्य के करीब 40 लाख असमिया भाषा मुस्लिमों को 'मूल निवासी असमिया मुस्लिम' के तौर पर मान्यता दी थी। इनमें वे मुस्लिम शामिल थे जिनके पास बांगलादेश से पलायन कर राज्य में आने का कोई भी इतिहास नहीं था। इस तरह से इन्हें मूल निवासी के रूप में देखा गया। लेकिन इसके कारण असम राज्य में मुस्लिम समाज को दो हिस्सों में देखा जाने लगा।

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