
Article 143 Presidential Reference: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13मई 2025को संविधान के अनुच्छेद 143के तहत सुप्रीम कोर्ट को एक दुर्लभ और अत्यंत महत्व का संदर्भ भेजा। इसमें राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधेयकों पर निर्णय लेने संबंधी शक्तियों को स्पष्ट करने हेतु 14संवैधानिक प्रश्न शामिल हैं। यह संदर्भ सीधे तौर पर तमिलनाडु राज्य बनाम तमिलनाडु के राज्यपाल (2025) फैसले से जुड़ा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों पर समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को रेखांकित किया था। अब पांच-न्यायाधीशीय संविधान पीठ इन सवालों पर अपना महत्वपूर्ण निर्णय सुनाने जा रही है, जो संघवाद के ढांचे पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
राज्यपाल की शक्तियों पर उठाए गए प्रमुख प्रश्न
राष्ट्रपति ने सबसे पहले राज्यपाल की भूमिका से जुड़े प्रश्नों को स्पष्ट करने का आग्रह किया है:
1. अनुच्छेद 200के तहत राज्यपाल के समक्ष विधेयक आने पर उपलब्ध संवैधानिक विकल्प क्या हैं?
2. क्या राज्यपाल सभी विकल्पों के प्रयोग में मंत्रिपरिषद की सलाह से बाध्य हैं?
3. क्या वे अनुच्छेद 200के तहत विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकते हैं, और क्या यह न्यायोचित है?
4. क्या अनुच्छेद 361राज्यपाल के कार्यों की न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण रोक लगाता है?
5. जब समयसीमा तय नहीं है, तो क्या अदालत राज्यपाल के लिए समय-सीमा और प्रक्रिया निर्धारित कर सकती है?
इन प्रश्नों का उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि राज्यपाल का पद “औपचारिक अधिकार” तक सीमित है या “विवेकाधीन शक्ति” भी उसमें निहित है।
राष्ट्रपति की भूमिका और न्यायालय की सीमाओं पर चर्चा
इसके बाद राष्ट्रपति ने अपने विवेकाधिकार और न्यायालयीय नियंत्रण से संबंधित प्रश्न रखे हैं:
6. क्या राष्ट्रपति अनुच्छेद 201के तहत विवेक का प्रयोग न्यायोचित रूप से कर सकते हैं?
7. क्या अदालत राष्ट्रपति के लिए भी समयसीमा तय कर सकती है जब संविधान ऐसा स्पष्ट रूप से नहीं करता?
8. क्या राष्ट्रपति को अनुच्छेद 143के तहत राज्यपाल द्वारा किसी विधेयक को आरक्षित किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेनी आवश्यक है?
9. क्या विधेयक के कानून बनने से पहले राज्यपाल/राष्ट्रपति के निर्णय न्यायिक समीक्षा योग्य हैं, और क्या अदालत विधेयक की विषय-वस्तु पर पहले ही विचार कर सकती है?
10. क्या अनुच्छेद 142के तहत सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति/राज्यपाल के निर्णयों को प्रतिस्थापित कर सकता है?
न्यायपालिका की प्रक्रिया और संघीय विवादों से जुड़े अंतिम प्रश्न
राष्ट्रपति ने न्यायालय की प्रक्रियागत भूमिकाओं व संघ–राज्य विवादों से जुड़े प्रश्न भी उठाए हैं:
11. क्या राज्यपाल की स्वीकृति के बिना कोई राज्य कानून “लागू कानून” माना जा सकता है?
12.क्या हर वह मामला जिसमें संवैधानिक प्रश्न हों, अनिवार्य रूप से पांच-न्यायाधीशीय पीठ को भेजा जाना चाहिए?
13.क्या अनुच्छेद 142की शक्ति केवल प्रक्रियात्मक मामलों तक सीमित है, या न्यायालय मौजूदा कानून के विपरीत भी आदेश दे सकता है?
14.क्या अनुच्छेद 131के अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय केंद्र–राज्य विवादों पर अन्य किसी अधिकार क्षेत्र में सुनवाई कर सकता है?
सुप्रीम कोर्ट का आगामी फैसला इन प्रश्नों पर संवैधानिक ढांचे, संघवाद और कार्यपालिका के अधिकारों की नई व्याख्या प्रस्तुत कर सकता है।
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