नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को कहा कि यूरोप तथा अमेरिका में हाल में सामने आए मंकीपॉक्स के मामलों को लेकर ‘चिंतित होने की आवश्यकता है।इस बीमारी पर पहली बार सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करते हुए बाइडेन ने कहा, चिंता की बात यह है कि अगर यह संक्रमण फैला तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। बाइडन दक्षिण कोरिया के ओसान हवाई अड्डे पर पत्रकारों द्वारा इस बीमारी के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
बाइडन ने कहा, अभी मुझे संक्रमण के प्रसार के बारे में नहीं बताया गया है लेकिन इसके बारे में हर किसी को चिंतित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के लिए काम चल रहा है कि कौन-सा टीका प्रभावी हो सकता है। हालांकि, यह बीमारी चेचक जैसी है लेकिन इसके लक्षण हल्के होते हैं। मरीज आम तौर पर अस्पताल में भर्ती हुए बिना दो से चार हफ्तों में ठीक हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी यह बीमारी जानलेवा भी हो जाती है। मंकीपॉक्स के मामले अफ्रीका के बाहर विरले ही देखने को मिलते हैं लेकिन शुक्रवार तक दुनियाभर में इसके 80 मामलों की पुष्टि हुई। इनमें से कम से कम दो मामले अमेरिका में सामने आए।
मंकीपॉक्स पर जानें विशेषज्ञों की राय
साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य मामले पर रिसर्च करने वाले सीनियर रिसर्चर माइकल हेड का कहना है कि वर्तमान समय ये वायरस का संक्रमण क्यों फैल रहा है। इसके बारे में जानकारी अभी कम है, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि लोगों को संक्रमण के स्तर से उस हद तक डरने की ज़रूरत है जैसे कि कोरोना वायरस महामारी देखा गया था। साइंस मीडिया सेंटर में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हमारे लिए हर आउटब्रेक में कुछ मामले ही देखने को मिलेंगे, निश्चित रूप से ये संक्रमण कोविड जैसा नहीं होगा।"
माइकल ने बताया कि, जब कोरोनवायरस का पहले केस सामने आया था तो इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था, मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में पहले से काफ़ी कुछ पता है। इसके लिए टीके हैं, उपचार है और पिछली बार जब ये बीमारी फैली थी तो उसका अनुभव भी हैं।यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अब एपिडेमियोलॉजिकल मॉनिटरिंग और सर्विलांस सिस्टम और भी अधिक आधुनिक हो गए हैं और अब वायरस का पता लगाना और पहचान करना पहले से कई ज़्यादा आसान हो गया है। जिसका अर्थ है कि आने वाले समय में और भी वायरस और स्ट्रेन का पता चलता रहेगा।
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