
US Travel Ban: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के नाम पर विदेशी नागरिकों की एंट्री पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं। हाल ही में जारी एक घोषणा के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने पांच देशों को पूर्ण यात्रा प्रतिबंध की सूची में शामिल किया है, जबकि कई अन्य देशों पर आंशिक प्रतिबंध लागू किए गए हैं। इस कदम से कुल प्रभावित देशों की संख्या बढ़कर 39हो गई है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका और मध्य पूर्व क्षेत्र से जुड़े हैं।
किन देशों पर लगाया बैन
बता दें, ट्रंप प्रशासन की ओर से जारी फैक्ट शीट में कहा गया है कि ये प्रतिबंध हालिया सुरक्षा विश्लेषण पर आधारित हैं। पूर्ण यात्रा प्रतिबंध की सूची में नए शामिल देशों में बुर्किना फासो, माली, नाइजर, दक्षिण सूडान और सीरिया जैसे नाम हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, लाओस और सिएरा लियोन को भी इस सूची में जोड़ा गया है, जिससे कुल सात नए देश पूर्ण बैन के दायरे में आ गए हैं। इन देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश के लिए वीजा या अन्य यात्रा दस्तावेज प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाएगा, जब तक कि विशेष छूट न मिले।
इसके अलावा 15से ज्यादा देशों पर आंशिक प्रतिबंध लगाए गए हैं, जहां कुछ श्रेणियों के वीजा पर रोक है, लेकिन अन्य प्रकार की यात्रा संभव हो सकती है। इनमें अंगोला, एंटीगुआ और बारबुडा, बेनिन, आइवरी कोस्ट, डोमिनिका, गैबॉन, गाम्बिया, मलावी, मॉरिटानिया जैसे देश शामिल हैं। पश्चिमी अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों से जुड़े इन देशों के नागरिकों को अब अमेरिका जाने के लिए अतिरिक्त जांच और दस्तावेजीकरण की जरूरत पड़ेगी। फिलिस्तीनी अथॉरिटी द्वारा जारी यात्रा दस्तावेजों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रियाएं
ये नए प्रतिबंध तुरंत प्रभावी हो गए हैं, जिससे हजारों यात्री प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिकी आव्रजन विभाग के अनुसार, पहले से मौजूद प्रतिबंधों वाले देशों जैसे कि बुरुंडी, क्यूबा, टोगो और वेनेजुएला पर आंशिक प्रतिबंध जारी रहेंगे। तुर्कमेनिस्तान जैसे कुछ देशों पर पहले लगे प्रतिबंधों को भी मजबूत किया गया है। मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी नेताओं ने इस फैसले की आलोचना की है, इसे मुस्लिम-बहुल देशों के खिलाफ पूर्वाग्रह से प्रेरित बताते हुए। दूसरी ओर, ट्रंप समर्थकों का मानना है कि यह अमेरिका की सीमाओं को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने तर्क दिया कि ये कदम अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं, खासकर हालिया घटनाओं जैसे कि सीमा पर सुरक्षा कर्मियों पर हमलों के बाद।
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