चीन की बादशाहत तय! 2030 तक इस क्षेत्र में बनेगा नंबर-1, भारत-अमेरिका को होगा बड़ा नुकसान

चीन की बादशाहत तय! 2030 तक इस क्षेत्र में बनेगा नंबर-1, भारत-अमेरिका को होगा बड़ा नुकसान

Made in China 2025:  चीन आने वाले वर्षों में मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में दुनिया पर राज करने के लिए तैयार है। बीजिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 'मेड इन चाइना 2025' योजना के तहत चीन स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग में सभी देशों को पीछे छोड़ देगा। इस परियोजना की शुरुआत करीब दस साल पहले हुई थी। इसका उद्देश्य चीन को एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिक कार, रोबोटिक्स और दूरसंचार जैसी हाई-टेक इंडस्ट्री में सबसे आगे लाना है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, रेनमिन यूनिवर्सिटी के डीन वांग वेन ने कहा कि अमेरिका सहित कई देशों के प्रतिबंधों और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद चीन ने कई अहम क्षेत्रों में बड़ी प्रगति की है। हालांकि, बीजिंग ने इस योजना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन पिछले साल यह जानकारी सामने आई थी कि ‘मेड इन चाइना 2025’ के 86%लक्ष्य पूरे हो चुके हैं।

अमेरिका को पीछे छोड़ेगा चीन?

रिपोर्ट के अनुसार, बीते फरवरी में अमेरिकी संसद में चीन की औद्योगिक प्रगति को लेकर चिंता जताई गई थी। अमेरिका को डर है कि वह अगली औद्योगिक क्रांति में पिछड़ सकता है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार शुल्क (टैरिफ) को लेकर तनाव बना हुआ है। ग्रैंड व्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, अगर चीन अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाता रहा, तो अगले 5से 10वर्षों में वह वैश्विक स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बन जाएगा।

चीन बनेगा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग बाजार

यूएस कंसल्टेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन जल्द ही वैश्विक स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग बाजार में अग्रणी बन सकता है। अनुमान है कि यह क्षेत्र 18.2%वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2030तक 158.2बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। वहीं, अमेरिका का स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग बाजार 13.6%वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2030तक 152.1बिलियन अमेरिकी डॉलर तक सीमित रह सकता है।

चीन का अगला लक्ष्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नई तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। रेनमिन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले वर्षों में चीन की डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान उसकी GDP में 50% से बढ़कर 60% तक हो सकता है।

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