SPY SHIP TRUTH: आखिर एक जहाज को लेकर क्यों है चीन और भारत के बीच विवाद

SPY SHIP TRUTH: आखिर एक जहाज को लेकर क्यों है चीन और भारत के बीच विवाद

नई दिल्ली:  चीनी जहाज युआन वांग 5, जो मंगलवार को दक्षिणी श्रीलंकाई बंदरगाह हम्बटोटा में डॉक किया गयाहै उसने भारत को परेशान कर दिया है। जहां चीन का दावा है कि यह एक शोध पोत (research vessel) है, वहीं भारत का कहना है कि यह एक जासूसी जहाज है। बता दे कि वास्तव में, ये दोनों दावे सही हैं क्योंकि युआन वांग 5 दोहरे उपयोग वाली तकनीक का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें दोनो क्षमताएं हैं जिनका उपयोग शोध और सैन्य उद्देश्यों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए किया जा सकता है।

चीनी अनुसंधान पोत (research vessel) YuanWang-5 मंगलवार को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर फिर से रसद आपूर्ति के लिए पहुंचा। यह 16 से 22 अगस्त तक वहां रुकने वाला है। खासकर जब भारत ने संभावित चीनी जासूसी के बारे में श्रीलंका को चेतावनी दी थी। भारत की चिंताओं को सुनने के बावजूद, श्रीलंका ने युआन वांग 5 को डॉक करने की अनुमति देने का फैसला किया।

'जासूस' जहाज युआन वांग 5

युआन वांग 5 जहाजों की एक तीसरी पीढ़ी का जहाज है जो 2007 में चीन के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की सेवा के लिए सेवा में आया था। यह 222 मीटर लंबा और 25.2 मीटर चौड़ा है। जहाज एक अत्याधुनिक उपग्रह और मिसाइल ट्रैकिंग पोत है।युआन वांग 5 उपग्रहों, रॉकेटों और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रक्षेपण को ट्रैक कर सकता है, और बीजिंग और चीन के आसपास के ट्रैकिंग स्टेशनों पर डेटा स्थानांतरित कर सकता है।

युआन वांग 5 जहाज इस वक्त श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर खड़ा है। यहां से वो हिंद महासागर और दक्षिण भारत में होने वाली हर बड़ी गतिविधि पर नजर रख सकता है और इस वजह से ही भारत ने श्रीलंका से एतराज जताया था कि वो इस जहाज को अपने यहां ठहरने की इजाजत ना दे। इस बारे में डिफेंस एक्सपर्ट पी के सहगल बताते हैं कि भारत के दक्षिण से कोई भी सैटेलाइट या मिसाइल लॉन्च होता है तो ये उसे डिटेक्ट कर सकता है...इसका भारत की सुरक्षा पर जबरदस्त असर पड़ेगा और इसे देखते हुए ही भारत ने प्रोटेस्ट किया था और अमेरिका ने प्रोटेस्ट किया था।

जासूसी जहाज की खासियत

श्रीलंका हंबनटोटा में खड़े चीन के जासूसी जहाज से भारत को एक नहीं कई खतरे हैं. जानकारों की मानें तो चीन का ये जासूसी जहाज सैटेलाइट की मदद से भारत की मिसाइल रेंज और न्यूक्लियर प्लांट पर नजर रख सकता है। ये भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। वैसे तो ये कोई सैन्य जहाज नहीं है, मगर चीनी जहाज की पहुंच इतनी बड़ी है कि ये भारत में दूर-दूर तक नजर रख सकता है। ये करीब 750 किमी दूर तक आसानी से निगरानी कर सकता है। युआन वांग 5 सैटेलाइट और इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलों को ट्रैक करने में भी सक्षम है।

भारत का कितना एरिया करेगा कवर?

दरअसल, हंबनटोटा पोर्ट से तमिलनाडु के कन्याकुमारी की दूरी करीब 451 किलोमीटर है। इसके बावजूद श्रीलंका ने इसे हंबनटोटा पोर्ट पर आने की अनुमति दी। अब भारत इसको लेकर अलर्ट पर है। जानकारी के लिए बता दें कि युआन वांग 5 को 2007 में बनाया गया था। यह मिलिट्री नहीं बल्कि पावरफुल ट्रैकिंग शिप है। यह अपनी आवाजाही तब शुरू करते हैं, जब चीन या कोई अन्य देश मिसाइल टेस्ट कर रहा होता है। यह शिप लगभग 750 किलोमीटर दूर तक आसानी से निगरानी कर सकता है। 400 क्रू वाला यह शिप पैराबोलिक ट्रैकिंग एंटीना और कई सेंसर्स से लैस है।

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