दुनिया के लिए आखिर क्यों जरूरी है ताइवान, जानें कैसे है भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते

दुनिया के लिए आखिर क्यों जरूरी है ताइवान, जानें कैसे है भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते

नई दिल्ली:  नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन बहुत नाराज है। चीन ने ताइवान द्वीप के आसपास युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। चीन की मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के हवाले से चीन की मीडिया कंपनी ने बताया कि चीन ने ताइवान को एक्सपोर्ट किए जाने वाले नेचुरल सैंड को रोक दिया है। इसके अलावा ड्रैगन ने बुधवार से ताइवान क्षेत्र से इंपोर्ट किए जाने वाले कई सामानों पर भी रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, ड्रैगन की तरफ से ताइवान को डराने के उद्देश्य से ताइवान द्वीप के आसपास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू किया है।

अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद दुनिया एक नए टकराव की ओर बढ़ रही है। यात्रा के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है, जिसके केंद्र में ग्लोबल सेमीकंडक्टर ट्रेड (Global Semiconductor) पर वर्चस्व बनाना है। ऐसा अनुमान है कि ग्लोबल सेमीकंडक्टर कैपेसिटी में अकेले ताइवान की 20 फीसदी हिस्सेदारी होगी। दूसरी ओर अमेरिका और चीन सेमीकंडक्टर के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से हैं।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेमीकंडक्टर दुनिया में चौथा सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाला प्रोडक्ट है। इसमें दुनिया के 120 देश भागीदार हैं। सेमीकंडक्टर से ज्यादा ट्रेड सिर्फ क्रूड ऑयल, मोटर व्हीकल व उनके कल-पुर्जों और खाने वाले तेल का ही ट्रेड होता है। महामारी से पहले साल 2019 में टोटल ग्लोबल सेमीकंडक्टर ट्रेड की वैल्यू 1.7 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई थी। चीन सेमीकंडक्टर के डिजाइन व मैन्यूफैक्चरिंग में काफी पीछे है, लेकिन चिप वाली डिवाइसेज के प्रोडक्शन में चीन की हिस्सेदारी 35 फीसदी है। अमेरिका सेमीकंडक्टर बेस्ड डिवाइसेज का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इन्हें बनाने वाली 33 फीसदी कंपनियों का हेडक्वार्टर अमेरिका में ही है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग की पांच सबसे बड़ी फॉन्ड्रीज में से 2 ताइवान में स्थित हैं. ताइवानी कंपनी TSMC लॉजिक चिप्स बनाती है, जिनता इस्तेमाल डेटा सेंटर्स, एआई सर्वर्स, पर्सनल कम्प्यूटर, स्मार्टफोन आदि में होता है। सेमीकंडक्टर मार्केट के ओवरऑल वैल्यू चेन में ताइवान की हिस्सेदारी 9 फीसदी है, जो चीन के लगभग बराबर है। ताइवान से आगे सिर्फ अमेरिका 38 फीसदी, दक्षिण कोरिया 16 फीसदी और जापान 14 फीसदी हैं। हालांकि सेमीकंडक्टर के उपभोग में ताइवान का हिस्सा महज 3 फीसदी है, जबकि अमेरिका और चीन करीब 25-25 फीसदी इस्तेमाल करते हैं।

ताइवान के साथ भारत का व्यापार लगातार बढ़ रहा है। 2021-22 में भारत ने ताइवान से 46,515 करोड़ रुपये के सामानों का आयात किया था। यह 2020-21 की तुलना में 56 फीसदी और 2019-20 की तुलना में 62 फीसदी अधिक था। पिछले साल यानी 2021-22 के दौरान भारत ने सबसे ज्यादा 27.7 फीसदी इलेक्ट्रिकल मशीनरी का ताइवान से आयात किया। इसके बाद प्लास्टिक व इससे बने सामान 17.6 फीसदी, न्यूक्लियर रिएक्टर्स 17.3 फीसदी, ऑर्गेनिक केमिकल्स 15.9 फीसदी और लोहा व इस्पात 4.1 फीसदी आदि का स्थान रहा।

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