कश्मीर की राह में रोड़ा कौन?

कश्मीर की राह में रोड़ा कौन?

जम्मू कश्मीर शांत है। अमन की राह पर जिंदगी लौटती हुई नजर आ रही है,लेकिन क्या ये पूरा सच है,शायद नहीं क्योंकि अनुच्छेद 370 पर लिए गए केंद्र सरकार के फैसले और जम्मू के पुनर्गठन की बात कई लोगों के गले नहीं उतर रही है।

35-A  और 370 के बलबूते जम्मू कश्मीर पर दशकों तक राज करने वाली सियासी पार्टियां अपनी सियासी जमीन खिसकने से बेचैन हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी केंद्र सरकार के इस फैसले का लगातार विरोध कर रही है। दोनों ही पार्टियों का आरोप है कि सरकार के इस कदम से कश्मीर की शांति भंग होगी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने राज्य की सरकारों से इस मुद्दे पर बिना कोई राय लिए फैसला किया उन्होंने कश्मीर घाटी में शांति बनाए रखने के लिए उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किए जाने का भी मामला सुप्रीम कोर्ट में रखा है। कश्मीरी अलगाववादी अब्दुल गनी लोन के बेटे अकबर लोन और हसनैन मसूदी ने याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई है कि जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटना असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। लिहाजा इसके क्रियान्वयन पर फौरन रोक लगे याचिका में जम्मू कश्मीर को राज्य की बजाय दो केंद्रशासित प्रदेश में बांटने के लिए राष्ट्रपति की अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित करने की मांग है। इसके अलावा संसद से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया को भी संवैधानिक सवालों के घेरे में लाया गया है। एक तरफ जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियां अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट पहुंची हैं, तो पहीं दूसरी तरफ भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान है, जो इस बात से बेहद बौखलाया हुआ है कि जो कश्मीर मुद्दा हमेशा उसकी घरेलू नीति का हिस्सा रहा, उसे एक झटके में भारत सरकार ने खत्म करते हुए उससे छीन लिया है।

तो दूसरी तरफ वो आतंकी संगठन हैं जो अब खुलकर अपने मंसूबों को अंजाम देने की धमकी दे रहे हैं। दो दिन पहले, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद के संयुक्त सत्र में कहा था कि अगर भारत में पुलवामा की तरह या इससे भी बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया जाता है तो इस्लामाबाद ज़िम्मेदार नहीं होगा।

इमरान खान के इस बयान ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा  जैसे आतंकी संगठनों को स्वतंत्रता प्रदान की है। सूत्रों की मानें तो सुरक्षा एजेंसियां इस तथ्य को मनती हैं कि पिछले एक पखवाड़े के दौरान सीमा पार से गोलाबारी में JEM  और लश्कर के फिदायीन के कुछ समूहों ने कथित तौर पर कश्मीर में घुसपैठ की इन्हें बेअसर करने के लिए विभिन्न रणनीति बनाई गई है। पिछले हफ्ते, भारतीय बलों ने केरन सेक्टर में एलओसी पर पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) द्वारा घुसपैठ की बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया था जिसमें कम से कम पांच घुसपैठियों को मार गिराया गया।

Leave a comment