यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद, जातीय समीकरण और युवा विधायकों पर फोकस

यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद, जातीय समीकरण और युवा विधायकों पर फोकस

Yogi Cabinet Expansion: उत्तर प्रदेश में आगामी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सियासी चर्चा जोरों पर है। बीजेपी ने हाल ही में प्रदेश संगठन में पिछड़ी जाति के नए चौधरी को कमान सौंपकर विपक्ष के पीडीए समीकरण पर असर डालने का संदेश दिया है। इसी तर्ज पर अब प्रदेश सरकार में भी बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा और इसका स्वरूप कैसा रहेगा, इस पर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

मंत्रिमंडल के विस्तार पर चर्चा

जानकारी के अनुसार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मंत्रिमंडल विस्तार में पीडीए समीकरण को दुरुस्त करने की योजना पर मंथन चल रहा है। पिछली बार संगठन पर्व के दौरान इस विषय पर चर्चा शुरू हुई थी, लेकिन अब नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन के बाद योगी सरकार की टीम में संभावित बदलाव की चर्चा तेज हो गई है।

सियासी विशेषज्ञों का कहना है कि संभावित विस्तार में सबसे बड़ा फोकस जातीय समीकरण पर रहेगा। साल 2027 के विधानसभा चुनाव में विपक्षी पीडीए को कड़ी टक्कर देने के लिए कुर्मी और अन्य पिछड़ी और दलित जातियों के मंत्रियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों के स्थान पर ऊर्जावान और युवा विधायकों को मौका मिल सकता है। खास तौर पर पार्टी से दूर हो रहे कुर्मी समाज पर पकड़ मजबूत करने के लिए इस वर्ग के नेताओं को प्रमोट किया जा सकता है।

कई नए चेहरे हो सकते हैं शामिल

प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त हुए भूपेंद्र चौधरी को भी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना बताई जा रही है। इसके अलावा करीब आधा दर्जन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चाएं हैं। वर्तमान मंत्रियों की कार्यप्रणाली और रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा के बाद कुछ नेताओं को संगठन में भेजा जा सकता है। जानकारी के अनुसार, संभावित विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन पर भी ध्यान दिया जाएगा। खास तौर पर पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड और मध्य यूपी को महत्व मिलने की संभावना है।

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