सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर केरल सरकार और सीपीएम का यू-टर्न

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर केरल सरकार और सीपीएम का यू-टर्न

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्गों की महिलाओं की एंट्री के 28 सितंबर 2018 के अपने फैसले को नहीं बदला है।

शुक्रवार को सीपीएम राज्य सचिवालय ने केरल की एलडीएफ सरकार को सलाह दी है कि उसे सभी आयु वर्गों की महिलाओं को मंदिर में एंट्री दिलाने पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए। सीपीएम ने राज्य सरकार को केरल में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसा करने की सलाह दी है।

बता दें कि सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केरल सरकार ने तमाम विरोध के बीच महिलाओं को मंदिर में एंट्री दिलवाई थी।

राज्य सरकार ने भी पार्टी की सलाह तुरंत मान ली और रविवार से शुरू होने वाले यात्रा सीजन को लेकर तैयारी कर ली है। केरल के देवास्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा, 'अगर कोई महिला सबरीमाला तक जाने के लिए पुलिस सुरक्षा चाहती है तो उसे कोर्ट का आदेश लाना होगा।

बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केरल सरकार ने युवा महिलाओं को मंदिर में एंट्री देने में विशेष दिलचस्पी दिखाई थी और जो भी महिला मंदिर तक जाने के लिए सुरक्षा मांगती, उसे वह मुहैया कराई जाती।

सीपीएम ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच द्वारा दिए गए फैसले पर चर्चा की। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने केरल की पिनराई विजयन सरकार को सलाह दी है कि वह सबरीमाला मंदिर जाने वाले महिलाओं को सुरक्षा देने को लेकर बहुत ज्यादा दिलचस्पी न ले।

मंत्री सुरेंद्रन ने स्पष्ट किया कि इस बार राज्य सरकार उन महिलाओं को किसी तरह की रियायत नहीं देगी, जो पहले ही मंदिर जाने का मन बना चुकी हैं। उन्होंने कहा, 'सरकार इस साल सामाजिक कार्यकर्ताओं को किसी भी तरह के ऐक्टिविजम की इजाजत नहीं देगी।

सीपीएम की सलाह के अलावा एलडीएफ सरकार ने कानूनी सलाह भी ली। राज्य सरकार को बताया गया कि मंदिर जाने वाली महिलाओं को पुलिस सुरक्षा देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।

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