अमेरिका की इस चालाकी से कई देशों की इकोनॉमी हुई तबाह, भारत को भी दी थी सलाह

अमेरिका की इस चालाकी से कई देशों की इकोनॉमी हुई तबाह, भारत को भी दी थी सलाह

नई दिल्लीरूस-यूक्रेन युद्ध ने पुरे दुनिया को बदल कर रख दिया है।इस युद्ध ने दुनिया में नए समीकरणों का एक नया आयाम दुनिसा के आगे खोल कर रख दिया है।लेकिन इस युद्ध ने दुनिया के आगे बहुत सी परेशानियां भी खड़ी की है। जिसमें से एक है ऊर्जा संकट, इस युद्ध के कारण दुनिया भर में तेल के आयात और निर्यात को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया हे।

वहीं इस युद्ध के कारण भारत को भी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। जिसमें से एक है तेल आयात, लेकिन इस युद्ध में अमेरिका के भी दोहरे चरित्र को उजागर किया है‘यूक्रेन युद्ध के दौरान ही पिछले सप्ताह अमेरिका ने रूस से 43%ज्यादा, यानी हर रोज 1लाख बैरल तेल खरीदा है।’इसके बाद दुनियाभर के लोग अमेरिका के दोहरे चरित्र पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि अमेरिका रोज रूस पर प्रतिबंध लगाकर भारत समेत दूसरे देशों को उससे व्यापार करने से रोक रहा है, लेकिन खुद वहां से ज्यादा तेल खरीद रहा है। न सिर्फ अमेरिका बल्कि यूरोप से भी इसी तरह की खबरें आ रही हैं।

इस जंग के बीच अमेरिका और यूरोपीय देशों का डबल स्टैंडर्ड सामने आया है।रूसी सेना यूक्रेन के शहरों में तबाही मचा रही है। इसके विरोध में अमेरिका पाबंदियों के जरिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर लगाम लगाने के दावे कर रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन समेत दूसरे यूरोपीय देश भारत पर रूस से तेल नहीं खरीदने का दबाव बना रहे हैं। इस बीच इन ताकतवर देशों का डबल स्टैंडर्ड सामने आया है। दरअसल, रूस के एक अधिकारी ने अमेरिका के दोहरे रवैये को लेकर सवाल उठाया है।

रूसी अधिकारी ने कहा कि रूस को दुनिया से अलग करने की कोशिश करने वाले अमेरिका ने ही उससे पिछले सप्ताह 43% ज्यादा तेल खरीदा है। इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी एक कार्यक्रम में यूरोप द्वारा रूस से मार्च में ज्यादा तेल खरीदने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, “फरवरी में जंग शुरू होने के बाद मार्च में यूरोप ने रूस से 15% ज्यादा तेल खरीदा है। अगर आप रूस के तेल और गैस के प्रमुख खरीददारों को देखें तो इनमें ज्यादातर यूरोपीय देश ही शामिल हैं।'

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