
नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में इन दिनों हालात बद से बतर होते जा रहे हैं। यहां अस्पतालों में दवाईयां खत्म हो रही हैं। पेट्रोल और डीजल की भारी किल्लत के बाद पंप पर सैना तैनात कर दी गई है। साथ ही बिजली संकट भी खड़ा हो गया है। श्रीलंका में साल 2015 के बाद से महंगाई रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
श्रीलंका में महंगाई के चलते हर जगह जनता सड़कों पर उतर आई है और सबकी एक ही मांग है कि राष्ट्रपति इस्तीफा दें। श्रीलंका में अब ये हालात हो चुके है कि तेल और बिजली की कमी से स्ट्रीट लाइट तक बंद की जा चुकी है। 2020 में पेट्रोल 137 रुपए लीटर था जो आज 254 प्रति लीटर पहुंच चुका है। दाल का दाम 2020 में 180 रुपए प्रति किलो थी। जो आज 420 प्रति किलो हो चुकी है। खाने बनाने वाला तेल जो 2020 में 480 प्रति लीटर था। वहीं आज 870 प्रति लीटर हो चुका है।
श्रीलंका के दिवालिया होने में सरकार की गलत नीतियां सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जिसमें एक बड़ी गलती जनता को लुभाने के लिए मुफ्त का खेल भी है, ये खेल भारत में भी तेजी से पनप रहा है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी निर्भर थी जो कोरोना के कारण पर्यटकों की कमी कि वजह से बहुत बुरा असर पड़ा है। सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में विपल रही है। श्रीलंका कि इस हालत के पीछें चीन से कड़ी शर्तों पर लिया कर्ज सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है।
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