
नई दिल्ली: अब देश के संसद भवन पर किसी भी हड़ताल, प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएंगी। बता दें कि संसद भवन में धरना प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है। मोदी सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसके तहत अब संसद भवन के परिसर में कोई सदस्य धरना प्रदर्शन, हड़ताल, भूख हड़ताल नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही संसद परिसर में कोई धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित नहीं हो सकेगा।
राज्यसभा महासचिव पीएम मोदी के आदेश में कहा गया है, "संसद के सदस्य किसी भी प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास, या किसी धार्मिक समारोह को करने के उद्देश्य से संसद भवन के परिसर का उपयोग नहीं कर सकते हैं।" इसके साथ ही संसद परिसर में कोई धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित नहीं हो सकेगा। बता दें कि इससे पहले लोकसभा सचिवालय ने बुधवार (13 जुलाई) को संसद के मानसून सत्र से पहले एक पुस्तिका जारी की, जिसमें उन शब्दों को सूचीबद्ध किया गया है जिन्हें अब दोनों सदनों में 'असंसदीय' माना जाएगा। बुकलेट के मुताबिक 'जुमलाजीवी', 'बाल बुद्धि', 'कोविड स्प्रेडर' और 'स्नूपगेट', 'पाखंड','अक्षम','शर्मिंदा', 'दुर्व्यवहार', 'विश्वासघात', 'भ्रष्ट', 'ड्रामा' जैसे शब्दों को ' लोकसभा और राज्यसभा दोनों में "असंसदीय" माना जाएगा। यानी संसद के दोनों सदनों में इन शब्दों का प्रयोग नहीं करना है।
हालांकि इस फैसले पर विपक्ष भड़क गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने भी इस पर ट्वीट करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर आदेश की कॉपी शेयर करते हुए लिखा है कि, 'विश्वगुरु का नया काम- D(h)arna मना है।' बता दें कि, इससे पहले सचिवालय द्वारा असंसदीय शब्दों का संकलन जारी किया था। इसके तहत, यदि कोई सदस्य पीठ (Chair) पर आक्षेप करते हुए यह कहते हैं कि जब आप इस प्रकार से चिल्ला कर वेल में जाते थे, उस समय को याद करूं या आज जब आप कुर्सी पर बैठे हैं तो इस समय को याद करूं.., तो उन शब्दों को भी रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं माना जाएगा।
Leave a comment