Sri Lanka: रानिल विक्रमसिंघे ने थामी श्रीलंका की कमान, क्या संकट के दौर में पार लगा पाएंगे श्रीलंका की नैया

Sri Lanka: रानिल विक्रमसिंघे ने थामी श्रीलंका की कमान, क्या संकट के दौर में पार लगा पाएंगे श्रीलंका की नैया

नई दिल्लीआजादी के बाद से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे श्रीलंका में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। पिछले दिनों महिंद्रा राजपक्षे के पीएम पद से इस्तीफे के बाद उनकी जगह रानिल विक्रमसिंघे ने पीएम पद की शपथ ली है।उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है? वो सभी को पता है। उनके कंधों पर श्रीलंका को आर्थिक संकट से निकालने का जिम्मा है। रानिल विक्रमसिंघे पर देश को अबतक की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी से उबारने की चुनौती होगी। 1993 से पांच बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके 73 साल के रानिल विक्रमसिंघे फ्री थिकंर माना जाता है।

आपको बता दे कि, पेशे से वकील रहे रानिल विक्रमसिंघे ने 70 के दशक में देश की राजनीति में कदम रखा था। 1977 में वो पहली बार चुनकर सदन आए थे। रानिल विक्रमसिंघे राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके चाचा जूनियस जयवर्धने करीब दस साल तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे।न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक रानिल विक्रमसिंघे ने बतौर पत्रकार अपने करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने 1973 में अखबार के अपने पारिवारिक बिजनेस को भी संभाला। रणसिंघे प्रेमदासा के निधन के बाद रानिल विक्रमसिंघे को पहली बार 1993 में श्रीलंका का प्रधानमंत्री बनाया गया। रणसिंघे प्रेमदासा की बम धमाके में मौत हुई थी जिसे लिट्टे ने अंजाम दिया था। रानिल विक्रमसिंघे का प्रधानमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल एक साल से थोड़ा ज्यादा चला।

रानिल विक्रमसिंघे को भारत का करीबी माना जाता है। जबकि, महिंदा राजपक्षे चीन के करीबी थे। राजपक्षे की सरकार में ही श्रीलंका परकर्ज बढ़ता गया। राजपक्षे की सरकार के दौरान श्रीलंका ने चीन से करीब 7 अरब डॉलर का कर्ज लिया। इसने श्रीलंका को आर्थिक संकट में ढकेल दिया। मौजूदा आर्थिक संकट के बीच विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री बनने पर भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर कहा कि श्रीलंका के लोगों के प्रति भारत का कमिटमेंट जारी रहेगा। उच्चायोग ने कहा कि भारत श्रीलंका में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद करता है और श्रीलंका के प्रधानमंत्री केरूप में रानिल विक्रमसिंघे की सरकार के साथ काम करने के लिए तत्पर है। ऐसे में विक्रमसिंघे के पास श्रीलंका को इस आर्थिक संकट से निकालने की सबसे बड़ी चुनौती है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, शपथ लेनेके बाद विक्रमसिंघे ने कहा कि मैंने श्रीलंका को आर्थिक संकट से निकालने की चुनौती ली है और मैं अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाकर रहूंगा।

Leave a comment