SRI LANKA CRISIS: राष्ट्रपति भवन में खाना...पीएम आवास में मौज...क्या श्रीलंका के प्रदर्शनकारी यही चाहते है?

SRI LANKA CRISIS: राष्ट्रपति भवन में खाना...पीएम आवास में मौज...क्या श्रीलंका के प्रदर्शनकारी यही चाहते है?

कोलंबो: आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लोगों का सब्र टूट गया है। यही वजह है कि एक दिन पहले ही प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। जब उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगा दी गई। राजधानी कोलंबो में हर जगह प्रदर्शनकारी हैं, यही वजह है कि सरकार ने स्पेशल टास्क फोर्स को सड़कों पर उतारा है। इसके बावजूद राष्ट्रपति भवन पर बैठे प्रदर्शनकारी जमकर मस्ती कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की लॉन में शाही दोपहर का भोजन करने, स्विमिंग पूल में दंगा करने, राष्ट्रपति भवन के हर कमरे पर कब्जा करने की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर पीएम आवास में आग लगाकर अपने मकसद को हासिल कर पाएंगे।

क्या कहा श्रीलंकाई प्रदर्शनकारियों ने

राष्ट्रपति भवन में शाही भोज करने वाले व्यक्ति ने कहा कि यह पहली बार है जब हम राष्ट्रपति भवन में दाखिल हुए हैं। हमारे पास अच्छा मौका है इसलिए मुझे लगता है कि अब पूरा देश शांतिपूर्ण है। भ्रष्टाचार खत्म होगा। मुझे यहां अपने बच्चों के साथ लंच करने का मौका मिला। राष्ट्रपति भवन में दोपहर का भोजन वास्तव में शानदार है। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम झंडा पकड़कर अपनी नाराजगी दिखाते रहे हैं कि 74 साल से जो व्यवस्था चल रही है वह हमारे लोगों, हमारे अधिकारों के प्रति दमनकारी है। वे केवल सैन्य बलों का उपयोग करके सत्ता से चिपके हुए थे, इसलिए हमारा प्रतीक काला झंडा था जो सरकार को आईना दिखा रहा था। युवा इस व्यवस्था के खिलाफ हैं।

श्रीलंका की ताकत को कोई संभालना नहीं चाहता

श्रीलंका के हालात इतने खराब हो गए हैं कि कोई भी इसे संभालना नहीं चाहता। पांचवीं बार प्रधानमंत्री बने रानिल विक्रमसिंघे ने सत्ता का अपार अनुभव होने के बाद भी अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने भी 13 जुलाई को पद छोड़ने की घोषणा की है। ऐसे में देश को आर्थिक संकट से उबारना नए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। लेकिन, मौजूदा हालात को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि श्रीलंका को अपने पैरों पर खड़ा होने में कम से कम 4 से 5 साल लग सकते हैं। इसके बाद भी यह दावा नहीं किया जा सकता कि श्रीलंका की आर्थिक स्थिति सामान्य हो सकती है।

प्रदर्शनकारी क्या मांग रहे है

प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि राजपक्षे परिवार को श्रीलंका की सत्ता से पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। श्रीलंकाई बौद्ध, सिंहली, तमिल, मुस्लिम समेत सभी धर्मों, पंथों और संप्रदायों के लोग देश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए राजपक्षे भाइयों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनकी नाराजगी श्रीलंका के मौजूदा नेताओं से भी है, जो सरकार में शीर्ष पदों पर काबिज हैं। लेकिन उन्होंने जनता की भलाई के लिए कुछ नहीं किया। लोगों का आरोप है कि इन नेताओं ने विदेशों से मिले कर्ज को बर्बाद कर दिया, जिसका फायदा जमीन पर नहीं दिख रहा था।

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