उज्बेकिस्तान में सजा कूटनीति का महामंच, जानें SCO समिट में भारत की क्या है भूमिका

उज्बेकिस्तान में सजा कूटनीति का महामंच, जानें SCO समिट में भारत की क्या है भूमिका

नई दिल्लीशंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 22वां शिखर सम्मेलन 15-16 सितंबर को समरकंद, उज्बेकिस्तान में आयोजित होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार हैं, जो 2019 के बाद पहली बार व्यक्तिगत रूप से आयोजित किया जा रहा है। 2020 और 2021 में शिखर सम्मेलन COVID-19 महामारी के कारण वीडियो कांफ्रेंस के जरिये आयोजित किए गए थे। भारत इस शिखर सम्मेलन के अंत में SCOकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा और 2023 SCOशिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

आपोक बता दे कि,SCOशिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया तेजी से ध्रुवीकृत (Polarized) हो रही है। जबकि पिछले एक दशक में चीन का मुखर उदय पहले से ही लोकतांत्रिक और नियम-आधारित व्यवस्था को चुनौती दे रहा है। अब रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ, विश्व व्यवस्था में विभाजन तेज होते जा रहे हैं। इन घटनाक्रमों के मद्देनजर, भारत के लिए SCOकी प्रासंगिकता पर गौर करना उचित होगा।

SCOका इतिहास

इस संगठन का गठन 1996 में शंघाई फाइव के रूप में किया गया था जिसमें पांच सदस्य थे - चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान। बाद में 2001 में, उज्बेकिस्तान को इसके छठे सदस्य के रूप में भर्ती कराया गया और शंघाई सहयोग संगठन 15 जून, 2001 को शंघाई में आयोजित शिखर सम्मेलन में अस्तित्व में आया। भारत और पाकिस्तान को 2017 में इसके सदस्यों के रूप में भर्ती किया गया था।

अपनी स्थापना के बाद से, SCOका पश्चिम-विरोधी चरित्र रहा है। इसका गठन मध्य एशिया और यूरेशिया में संयुक्त राज्य अमेरिका (US) और पश्चिमी देशों के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए किया गया था। भारत, पश्चिमी देशों के साथ लगातार बढ़ती निकटता के साथ, इस समूह के साथ एक सार्थक जुड़ाव बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।

SCOमें भारत की क्या है भूमिका

भारत एक मार्गदर्शक के रूप में 2005 में SCOमें शामिल हुआ था और 2017 में पूर्ण सदस्य बन गया। SCOमें भारत के हित क्षेत्रीय विषयों से जुड़े हैं, जिसमें सदस्य देशों के साथ सहयोग बहुत ही प्रमुख है। इस सहयोग में आर्थिक सहयोग, सुरक्षा सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा आदि शामिल हैं। भारत इसे किसी एक देश से जोड़कर नहीं देखता, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग की केंद्रीयता के रूप में देखता है। इस प्रकार भारत का रुख अपने आप में पूर्ण है। इसका किसी अन्य देश के तुलना में आकलन नहीं किया जाता।

आर्थिक सहयोग को लेकर क्या होने वाला है खास

SCOमें आर्थिक सहयोग का एक अलग महत्वपूर्ण स्थान है। इसका जिक्र करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि, भारत और मध्य एशिया के बीच आर्थिक सहयोग के कई आयाम हैं, जिनमें कारोबार एवं सम्पर्क, अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण कॉरिडोर सहित मध्य एशिया के देशों के साथ संपर्क बढ़ाना, कारोबार से जुड़े सहयोग पर ध्यान देना आदि शामिल होगा। उन्होंने अपनी बात में उत्पाद एवं सेवाओं को लेकर सहयोग बढ़ाने पर भी ध्यान दिया, जिसमें फार्मा और कृषि उत्पाद, खनिजों का आयात, आईटी से जुड़ी सेवाएं, स्टार्टअप एवं सेवाओं में थोड़ी बदलाव वाली बात को शामिल किया।

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