Secrets of The Universe Update: एक अनजानी आफत से वैज्ञानिक डरे, 48 घंटे में माउंट एवरेस्ट से बड़ा एस्टेराॅयड धरती के करीब से गुजरेगा, जानें कितना खतरनाक है ये पिंड?

Secrets of The Universe Update: एक अनजानी आफत से वैज्ञानिक डरे, 48 घंटे में माउंट एवरेस्ट से बड़ा एस्टेराॅयड धरती के करीब से गुजरेगा, जानें कितना खतरनाक है ये पिंड?

नई दिल्ली : दुनिया के सामने कोरोना संकट का पहाड़ तो है ही लेकिन अब एक और विशालकाय आफत पृथ्वी की ओर बढ़ रही है. दरअसल हममें से कई लोग अंतरिक्ष से किसी प्रकार का वास्ता न रखते हों और यहां होने वाली हलचल से इत्तेफाक न रखते हों लेकिन अंतरिक्ष की विचित्र घटनाओं को झुठलाया नहीं जा सकता. एक ऐसी समस्या इन दिनों धरती की ओर चली आ रही है जिसने वैज्ञानिकों के कान खड़े कर दिए हैं और वह चाहकर भी कुछ न कर पाने की स्थिति में हैं. बता दें कि एक खतरनाक आफत धरती के बगल से गुजरने वाली है जिसके लिए अब बस सिर्फ 48 घंटे का समय बाकी बचा है. अंतरिक्ष से आ रही इस विकट समस्या से वैज्ञानिक परेशान इसलिएि हैं क्योंकि कहा जा रहा है कि अगर दिशा में जरा सा भी परिवर्तन हुआ तो खतरा बहुत ज्यादा हो सकता है.
 
दरअसल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने करीब डेढ़ महीने पहले खुलासा किया था कि धरती की तरफ एक बहुत बड़ा एस्टेरॉयड तेजी से आ रहा है. बताया जा रहा है कि यह एस्टेरॉयड धरती के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट से कई गुना बड़ा है. और यह अभी 31,319 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. यानी करीब 8.72 किलोमीटर प्रति सेंकड है इसकी चाल. इतनी गति से यह अगर धरती के किसी हिस्से में टकराएगा तो बड़ी आफत ला सकता है. कहा जा रहा है कि ऐसे में यह कई देश बर्बाद कर सकता है. इस संबंध में नासा का कहना है कि इस एस्टेरॉयड से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह धरती से करीब 62.90 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा. अंतरिक्ष विज्ञान में यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती लेकिन कम भी नहीं है. कुछ वैज्ञानिकों ने इसके धरती से टकराने की भी आशंका जताई है.
 
खुली आंखों से नहीं दिखेगा
 
इस एस्टेरॉयड को 52768 (1998 ओआर 2) नाम दिया गया है. इस एस्टेरॉयड को नासा ने सबसे पहले 1998 में देखा था. इसका व्यास करीब 4 किलोमीटर का है. यह 29 अप्रैल की दोपहर 3.26 बजे करीब धरती के पास से गुजरेगा. धरती से इसकी दूरी करीब 62.90 लाख किलोमीटर होगी. भारत में इस समय दोपहर का समय होगा, दिन की रोशनी में आप इसे खुली आंखों से देख नहीं पाएंगे. इस बारे में अंतरिक्ष विज्ञानी डॉक्टर स्टीवन प्राव्दो ने बताया कि उल्का पिंड 52768 सूरज का एक चक्कर लगाने में 1,340 दिन या 3.7 वर्ष लेता है. इसके बाद एस्टेरॉयड का धरती की तरफ अगला चक्कर 18 मई 2031 के आसपास हो सकता है. तब यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकल सकता है.
 
खगोलविदों के मुताबिक ऐसे एस्टेरॉयड का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं. लेकिन, किसी न किसी तरीके से ये पृथ्वी के किनारे से निकल जाते हैं. अगर खगोलविदों की मानें तो ऐसे में संभावना कम है कि यह धरती को नुकसान पहुंचाएगा. लेकिन ऐसे एस्टेरॉयड का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं. लेकिन, किसी न किसी तरीके से ये पृथ्वी के किनारे से निकल जाते हैं. 
 
 

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