BRITAIN: अंग्रेजों पर राज कर सकता है ये भारतीय मूल का शख्स

BRITAIN: अंग्रेजों पर राज कर सकता है ये भारतीय मूल का शख्स

नई दिल्ली: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आज अपने पीएम के पद से इस्तीफा दे दिया है। कंजरवेटिव पार्टी के करीबन 50 मंत्रियों ने दो दिन के भीतर इस्तीफा दे दिया था, जिससे उन पर दबाव बन गया था। वहीं इस्तीफे के बाद खबरें आ रही है कि इस भारतीय शख्स को पीएम के पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

दरअसल पीएम के इस्तीफे के बाद ब्रिटेन सरकार में वित्त मंत्री ऋषि सुनक का नाम सामने आ रहा है कि ये पीएम के पद के लिए चुने जा सकते है। बता दें कि ये मंत्रियों के इस्तीफे का सिलसिला ऋषि सुनक के साथ हुई थी। सबसे पहले ऋषि सुनक ने इस्तीफा दिया था जिसके बाद मंत्रियों के इस्तीफे की लाइने लगने शुरू हो गई और आखिरी इस्तीफा पीएम का रहा। वहीं ऋषि सुनक का पीएम के पद की दौड़ में सबसे पहले नाम है। सुनक और साजिद वाजिद के अलावा साइमन हार्ट और ब्रैंडन लुईस भी शामिल हैं। अगर ऋषि सुनक की बात करें तो ऋषि सुनक भारतीय मूल के वित्त मंत्री रहे है।

सुनक इंफोसिस के सह संस्थापक और दिग्गज कारोबारी नारायण मूर्ति के दामाद हैं। सुनक (42) ने फरवरी 2020 में उस समय इतिहास रच दिया था, जब बोरिस जॉनसन ने उन्हें देश का वित्त मंत्री नियुक्त किया था। इससे पहले इस साल जनवरी में ब्रिटेन के एक प्रमुख सट्टेबाज ने भी ये भविष्यवाणी की थी कि बोरिस जॉनसन जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं और उनकी जगह ऋषि सुनक नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। ऋषि सुनक की पढ़ाई और करियर भारतीय मूल के ऋषि का जन्म ब्रिटेन के साउथैम्पटन में हुआ था। उन्होंने ब्रिटेन के विंचेस्टर कॉलेज से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की। इसके बाद उनका दाखिला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ, जहां उन्होंने फिलोसॉफी और इकॉनोमिक्स की पढ़ाई की। वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में फुलब्राइट स्कॉलर थे, जहां से उन्होंने एमबीए किया था। ऋषि सुनक ने ग्रैजुएशन के बाद गोल्डमैन सैक्स के साथ काम किया था और बाद में हेज फंड फर्म्स में पार्टनर बन गए थे।

ऋषि ने राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक अरब पाउंड की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कंपनी की स्थापना की थी। यह कंपनी ब्रिटेन के छोटे कारोबारों में निवेश में मददगार थी। वहीं राजनीति में प्रवेश यॉर्कशर के रिचमंड से सांसद ऋषि सुनक 2015 में पहली बार संसद पहुंचे थे। उस समय ब्रेग्जिट का समर्थन करने के चलते पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ता चला गया। उनके संसदीय क्षेत्र में यूरोपियन यूनियन (ईयू) छोड़ने के पक्ष में 55 फीसदी लोगों ने मतदान किया था। उन्हें हमेशा से कंजरवेटिव पार्टी के एक उभरते सितारे के रूप में देखा गया। पार्टी के कई बड़े नेता गाहे-बगाहे उनकी प्रशंसा भी करते रहे हैं।

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