Shardiya Navratri 2025: आज से नवरात्रि का पावन पर्व शुरु हो चुका है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के साथ-साथ देशभर के भक्त दर्शन के लिए निकल पड़ते हैं। लेकिन भारत की धरती पर कुछ ऐसे रहस्यमय मंदिर भी हैं, जहां की परंपराएं और मान्यताएं आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी। इनमें से कई मंदिरों में पति-पत्नी या प्रेमी जोड़ों का एक साथ दर्शन करना वर्जित माना जाता है। ये नियम प्राचीन कथाओं, श्रापों और लोक मान्यताओं से जुड़े हैं।
1. श्राई कोटि माता मंदिर, रामपुर (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर में स्थित यह मंदिर मां पार्वती को समर्पित है और समुद्र तल से करीब 11,000फीट की ऊंचाई पर बसा है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पति-पत्नी एक साथ पूजा या दर्शन नहीं कर सकते—एक को बाहर इंतजार करना पड़ता है।
मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने अपने पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मांड की परिक्रमा करने का आदेश दिया था। कार्तिकेय ने वास्तविक यात्रा की, जबकि गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा कर पूरा माना। कार्तिकेय लौटे तो गणेश का विवाह हो चुका था, जिससे वे क्रुद्ध हो गए और अविवाहित रहने का संकल्प ले लिया। दुखी मां पार्वती ने श्राप दिया कि जो भी पति-पत्नी इस मंदिर में एक साथ आएंगे, वे अलग हो जाएंगे।
2. सिद्धिविनायक गणेश मंदिर, मुंबई (महाराष्ट्र)
मुंबई के प्रबल हिल्स में स्थित यह विश्वप्रसिद्ध गणेश मंदिर विघ्नहर्ता भगवान को समर्पित है। यहां अविवाहित जोड़ों या प्रेमी दंपतियों का एक साथ दर्शन करना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संबंधों में अस्थिरता आ सकती है।यह नियम मंदिर की पवित्रता से जुड़ा है। अविवाहित जोड़े को 'अशुद्ध' माना जाता है, क्योंकि विवाह के बिना पूर्ण संकल्प न होने से भगवान की कृपा प्रभावित होती है। प्राचीन परंपरा के अनुसार, केवल विवाहित या एकल भक्त ही पूर्ण दर्शन कर सकते हैं।
3. बृहदीश्वर मंदिर, तंजावुर (तमिलनाडु)
तमिलनाडु के तंजावुर में कावेरी नदी के किनारे बसा यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भगवान शिव को समर्पित है। चोल वंश के राजा राजराज चोल द्वारा 1010ई. में निर्मित यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है। लोक मान्यता है कि प्रेमी जोड़े यदि एक साथ दर्शन करेंगे, तो उनका संबंध टूट सकता है।
इसकी वजह मंदिर की ऊर्जा से जुड़ी है यहां शिव की तांडव शक्ति इतनी प्रबल है कि अस्थिर रिश्तों को चुनौती देती है। प्राचीन कथाओं में कहा गया है कि यह स्थान केवल स्थिर और समर्पित आस्थाओं के लिए है। नवरात्रि के समय यहां शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा विशेष महत्व रखती है, जो वैवाहिक सुख के लिए की जाती है। जोड़े अलग दर्शन कर अपनी बंधन को मजबूत बना सकते हैं।
4. ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (राजस्थान)
राजस्थान के पुष्कर में सरोवर के किनारे स्थित यह दुनिया का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर है। यहां विवाहित पुरुषों का गर्भगृह में प्रवेश वर्जित है, जिससे पति-पत्नी एक साथ पूर्ण दर्शन नहीं कर पाते—पत्नी अंदर जा सकती है, लेकिन पति नहीं।कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने के लिए सरस्वती के आने का इंतजार किया, लेकिन देरी होने पर उन्होंने दूसरा विवाह कर लिया। क्रुद्ध सरस्वती ने श्राप दिया कि ब्रह्मा के मंदिरों में विवाहित पुरुष पूजा न कर सकें। नवरात्रि के दौरान कार्तिक पूर्णिमा के निकट यह मंदिर जीवंत हो जाता है, जहां दुर्गा की आराधना सृजन शक्ति बढ़ाने के लिए की जाती है। जोड़े अलग दर्शन से पारिवारिक सद्भाव प्राप्त करते हैं।
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