नदियों के उफान से गांव हुआ जलमग्न, लाखों लोग हुए बेघर; जानें पंजाब में क्यों आती है बाढ़?

नदियों के उफान से गांव हुआ जलमग्न, लाखों लोग हुए बेघर; जानें पंजाब में क्यों आती है बाढ़?

Punjab Floods: पंजाब को भारत का 'अन्न का कटोरा' कहा जाता है, जो अपनी उपजाऊ भूमि और समृद्ध कृषि के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन हाल के सालों में, खासकर मॉनसून के मौसम में, यह राज्य बार-बार बाढ़ की चपेट में आ रहा है। अगस्त-सितंबर 2025में आई बाढ़ ने पंजाब में भारी तबाही मचाई, जिसे 1988के बाद की सबसे भयावह बाढ़ माना जा रहा है। हजारों गांव जलमग्न हो गए, लाखों लोग बेघर हुए और फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा।

पंजाब में बाढ़ के कारण

1. भारी बारिश और जलवायु परिवर्तन

पंजाब की भौगोलिक स्थिति इसे बाढ़ के प्रति संवेदनशील बनाती है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे ऊपरी हिमालयी क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश से सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब, और झेलम जैसी नदियां उफान पर आ जाती हैं। जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के कारण मानसून की अनियमितता और बारिश की तीव्रता बढ़ी है, जिससे नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है। 2025में जम्मू में 24घंटे में 296मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिसने पंजाब की नदियों को और उग्र कर दिया।

2. बांधों से पानी का अनियंत्रित रिलीज

पंजाब में भाखड़ा, पौंग, और रणजीत सागर जैसे बड़े बांधों पर अत्यधिक पानी का दबाव पड़ता है। जब ये बांध अपनी क्षमता से अधिक भर जाते हैं, तो पानी को नियंत्रित रूप से छोड़ना पड़ता है। लेकिन कई बार यह रिलीज अनियोजित या अत्यधिक होता है, जिससे मैदानी इलाकों में बाढ़ आ जाती है। 2025में भाखड़ा बांध से 70,000क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसने रूपनगर से लुधियाना तक तबाही मचाई।

3कमजोर जल निकासी प्रणाली और अतिक्रमण

पंजाब की नदियों और नहरों में गाद जमा होने और उनकी नियमित सफाई न होने से जल निकासी बाधित होती है। इसके अलावा, नदियों के किनारों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण ने पानी के प्राकृतिक बहाव को अवरुद्ध कर दिया है। शहरीकरण और अनियोजित निर्माण ने स्थिति को और गंभीर बनाया है।

2025की बाढ़ ने मचाई तबाही

साल 2025में पंजाब में आई बाढ़ ने 23जिलों के 1,948गांवों को प्रभावित किया, जिसमें अमृतसर, गुरदासपुर, होशियारपुर, और पठानकोट जैसे जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए।

1. जान-माल का नुकसान: अब तक 43लोगों की मौत हो चुकी है, और हजारों मवेशी बह गए हैं। पठानकोट में सबसे अधिक 6मौतें दर्ज की गईं।

2.कृषि पर प्रभाव: लगभग 3लाख एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। फाजिल्का, फिरोजपुर, और कपूरथला में हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई।

3. विस्थापन: करीब 15लाख लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 3लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। 196राहत शिविरों में 7,108लोग शरण लिए हुए हैं।

4. बुनियादी ढांचे को नुकसान: होशियारपुर में 101 किमी से अधिक सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। लुधियाना में धुस्सी बांध के खिसकने से 15 गांवों में पानी घुसने का खतरा बढ़ गया।

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