MANN KI BAAT: मन की बात के 74वें संस्करण में बोले PM मोदी, 'जो भाषा दुनिया भर में लोकप्रिय है, मैं नहीं सीख पाया'

MANN KI BAAT:  मन की बात के 74वें संस्करण में बोले PM मोदी, 'जो भाषा दुनिया भर में लोकप्रिय है, मैं नहीं सीख पाया'

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 74 वें संस्करण को संबोधित किया है. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था. माघ महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोत्रों से जुड़ा हुआ माना जाता है.माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती. ये नाम है संत रविदास जी का है. माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती भी होती है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने संत रविदास के एक दोहे का भी जिक्र किया है. पीएम मोदी ने केहा कि रविदास जी कहते थें-

करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस।

कर्म मानुष का धम्र है, सत् भाखै रविदास।।

अर्थात हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है.

इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि आज ‘National Science Day’ भी है. आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा की गई ‘Raman Effect’ खोज को समर्पित है. उन्होंने कहा कि केरल से योगेश्वरन जी ने नमोApp पर लिखा है कि Raman Effect की खोज ने पूरी विज्ञान की दिशा को बदल दिया था.

मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि आप इतने साल से पीएम हैं, इतने साल सीएम रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई. अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी है. उन्होंने कहा कि मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास किया, लेकिन मैं तमिल नहीं सीख पाया. यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है.

आत्मनिर्भर भारत का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आत्म निर्भर भारत की पहली शर्त होती है- अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना. उन्होंने कहा कि जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक National spirit बन जाता है.

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