
नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणाम यह दुनिया पहले ही झेल रही है। इस युद्ध के कारण पहले ही वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में पहले बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसी कड़ी में जेपी मॉर्गन 'चेस एंड कंपनी'ने दुनिया के चेतावनी जारी कि है। इस रीपोर्ट के मुताबिक अगर अमेरिका और यूरोपीय देश अगर रूस को कच्चे तेल में कटौती के लिए प्रेरित करते हैतो वैश्विक तेल की कीमतें $ 380 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
कटौती से रूस को हल्का झटका लेकिन बाकी दुनिया के लिए डिजास्टर
जेपी मॉर्गन के एनालिस्ट का कहना है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों के जुर्माने की वजह से रूस कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर सकता है. इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमत 380 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। G-7 देशों ने हाल ही में रूस से कच्चे तेल के आयात को लेकर एक नई नीति पर बात की थी।जिसे लेकर फैसला किया गया था कि वे रूस के तेल के आयात को सशर्त मंजूरी देंगे। शर्त यह होगी कि इसके बदले रूस को चुकाई जाने वाली कीमत पहले से निर्धारित होगी। जेपी मॉर्गन के एनालिस्ट का कहना है कि G-7 देशों का यह फैसला यूक्रेन युद्ध को लेकर पुतिन की आर्थिक स्थिति पर चोट करने का था लेकिन रूस की माली हालत फिलहाल मजबूत स्थिति है।
रिपोर्ट के मुाबिक अगर अधिकतम कीमत फिक्स करने की कोशिश होती है तो सबसे अधिक इस बात के आसार बन रहे हैं कि रूस इसे मानने की बजाय सप्लाई में कटौती का फैसला करेगा। इससे पश्चिमी देशों को अधिक चोट पहुंचेगा। जेपीमॉर्गन के मुताबिक वैश्विक तेल बाजार पर सख्ती करने की स्थिति में परिस्थितियां रूस के पक्ष में है।
कटौती पर क्या होगा असर
अगर रूस हर दिन कच्चे तेल की सप्लाई को 30 लाख बैरल भी घटा देता है तो बेंचमार्क लंदन क्रूड प्राइस 190 डॉलर (15 हजार रुपये) प्रति बैरल तक उछल सकते हैं। अगर सबसे बुरी स्थिति की बात करें तो रूस अगर 20 लाख बैरल अतिरिक्त यानी हर दिन 50 लाख बैरल सप्लाई घटाता है तो कच्चे तेल के भाव 380 डॉलर (30 हजार रुपये) की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।
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