
नई दिल्ली: कंगाली, भुखमरी और बर्बादी की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है पाकिस्तान।स्थिति इतनी डामाडोल हो गई है कि खाने की चीजें लोगों की पहुंच से दूर हो रही है और देश के पास इतना पैसा नहीं है कि वह अपने नागरिकों के लिए सामान खरीद सके। शर्म की बात तो यह है कि इस बर्बाद मुल्क की सियासत दान देश की फिक्र छोड़ कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं। खाने के सामान,दवाई और जरूरत थी अन्य चीजों से भरे कंटेनर पाकिस्तान की बंदरगाहों पर खड़े हैं लेकिन पाक सरकार के पास इतना पैसा नहीं है कि वह उन सामान को खरीद पाए।पहले से कर्ज में डूबी पाकिस्तान मदद की उम्मीद में आईएमसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर मुंह बनाएं खड़े हैं।
पाकिस्तान में लड़खड़ाए अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान इन दिनों पेट्रोल और बिजली की भारी कमी से जूझ रही है। पिछले हफ्ता देशभर में बिजली चली गई। करोड़ों लोग अंधेरे में रहे।पाकिस्तान की लड़का की अर्थव्यवस्था का ऐसे संकट से सटीक हुई और उदाहरण क्या ही होगा। मुल्क में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं। वहीं पाकिस्तान मुद्रा का हाल बहुत बुरा है। बीते 26 जनवरी को पाकिस्तान रुपया डॉलर के मुताबिक 9.6 फ़ीसदी तक गिर गया था जो 20 वर्ष में पाकिस्तान रुपए की कीमत में आई सबसे बड़ी गिरावट है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही हैं। पाकिस्तान को नया कर्ज देने के लिए आई एम एस को राजी करने में लगी है।हालांकि आईएमएफ ने कर्ज की तीसरी किस्त देने के लिए ऐसी कड़ी शर्त लगाई जिन्हें पाक के पीएम शाहबाज शरीफ ने कल्पना से परे बता दिया है।आईएमएफ के द्वारा कहा गया है कि पाकिस्तान में महंगाई का और भी बड़ा तूफान आ सकता है। महंगाई दर 40 फ़ीसदी पार जा सकती हैं।
महंगाई से बेहाली
पाकिस्तान में महंगाई दर 26फीसदी के पार पहुंच गई है। दिसंबर 2021में महंगाई दर 12.3फीसदी थी जो दिसंबर 2022तक बढ़कर 24.5फीसदी तक पहुंच गई है। खाद्य सामानों के दाम बीते एक साल में 50फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं। महंगाई की मार खाद्य पदार्थों पर सबसे ज्यादा पड़ी है। एक साल का अंतर देखें तो दिसंबर 2021में फूड इन्फ्लेशन रेट 11.7फीसदी था, जो दिसंबर 2022में ही 32.7फीसदी पार हो चुकी थी. हालात अब तो और बुरे है।
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