
नई दिल्ली: आधा दिसंबर निकल गया हैं और ये महीना एक समुदाय के लिए बेहद खास माना जाता हैं। इस महीने में उस समुदाय के लोग त्योहार के रूप में मनाते है और इसमें अगर किसी लड़की को कोई लड़का पसंद आ जाता हैं तो उससे उसकी शआदी करवा दी जाती हैं इतना ही नहीं अगर कोई शादीशुदा महिला को कोई पसंद आ जाता हैं तो उसको भी अपने मनपसंद शख्स के साथ रहने का पूरा अधिकार हैं। हैरानी की बात ये हैं ये समुदाय पाकिस्तान में मौजूद है।
दरअसल पाकिस्तान में एक ऐसा समुदाय हैं जिसमें लड़की अपने मनपसंद लड़के के साथ शादी कर सकती हैं और शादीशुदा महिला भी पति को छोड़कर दूसरी शादी कर सकती हैं। हम बात करें हैं कलाशा जनजाति की।, हालांकि कलाशा जनजाति के कुछ ही लोग बचे हैं।, लेकिन जितने भी है वह आज भी अपने पंरपरा को निभाते हैं। यहां यम देव की पूजा भी होती है। कबीलाई मान्यता के मुताबिक, जान लेने वाले यही देवता प्राण भी फूंकते हैं। तो किसी की मौत को भी कलाशा उत्सव की तरह देखते हैं और रोने की बजाए नाचते-गाते हैं।
बता दें कि दिसंबर के महीने में कलाशा समुदाय का सबसे बड़े त्योहार चाओमास मनाया जाता हैं। इस दौरान लोग अपने शरीर और आत्मा की शुद्धि करते हैं। ये शुद्धि मुश्किल व्रत से नहीं, बल्कि नाच-गाने और बढ़िया भोजन से आती है। पहाड़ों पर आग जलाई जाती है, जिसके चारों ओर इकट्ठे होकर लोग नाचते और ऊपरवाले से खुद को शुद्ध करने की प्रार्थना भी करते हैं। इस दौरान मेला भी लगता है और भेड़-बकरियों की बलि भी दी जाती है, लेकिन त्योहार का सबसे अहम हिस्सा संगीत और मेल-मुलाकातें हैं।
इस त्योहार को लगभग दो हफ्ते तक चलाया जाता हैं। इस पर्व में महिलाएं नाचेंगी-गाएंगी, शराब से मिलता-जुलता पेय भी लेंगी और त्योहार खत्म होने के बाद महिला अपने मनपसंद साथी के घर चली जाती है, जहां आटे की माला पहनाकर उसे स्वीकार कर लिया जाता है। इसके बाद एक छोटी-सी पार्टी होती है, जिसमें अंगूर की शराब परोसकर एक तरह से एलान किया जाता है कि फलां औरत अब इस घर की सदस्य है।
वहीं अगर उसे कोई पसंद आ जाए, लेकिन उसके परिवार को एतराज हो तो त्योहार ही उन्हें मौका देता है कि वे रिश्ते को नाम दे सकें। जब सारे लोग बोनफायर के पास नाचने-गाने में व्यस्त होते हैं, लड़की अपने मनपसंद साथी के साथ भागकर एकाध दिन के लिए गायब हो जाती है. लौटने पर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
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