
नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच महीने भर चले युद्ध का असर दुनिया भर में दिख रहा है। यूक्रेन पर हमले के कारण यूरोप ने रूस से रूसी गैस की खरीद में लगातार कमी की है। इससे LPG की वैश्विक कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं। मुश्किलों से गुजर रहा पड़ोसी देश पाकिस्तान इसका खामियाजा भुगत रहा है। आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा पाकिस्तान कई शहरों (पाकिस्तान ब्लैकआउट) में 12 घंटे से ज्यादा बिजली कटौती करने को मजबूर है।
करीब एक दशक पहले पाकिस्तान ने ऊर्जा को लेकर नई दीर्घकालिक नीति अपनाई थी। नई नीति के तहत पाकिस्तान ने एलएनजी में भारी निवेश किया था। इटली और कतर की कंपनियों को एलएनजी की आपूर्ति के लिए लंबी अवधि के अनुबंध दिए गए थे। चूंकि वैश्विक बाजार में एलएनजी की कीमतें बढ़ी हैं, इसलिए ये कंपनियां पाकिस्तान को उपलब्ध एलएनजी का अन्यत्र उपभोग कर अधिक लाभ कमा रही हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान पावर प्लांट से लेकर फर्टिलाइजर प्लांट तक एलएनजी की कमी का सामना कर रहा है।
पाकिस्तान में ऐसे हालात पैदा हो गए हैं कि पिछले महीने ईद के दौरान बिजली की आपूर्ति बनाए रखने के लिए उसे हाजिर बाजार से करीब 10 करोड़ डॉलर में सिर्फ एक एलएनजी की खेप खरीदनी पड़ी। पाकिस्तान ने ऐसे समय में शिपमेंट के लिए रिकॉर्ड भुगतान किया जब वह विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक गिरावट से जूझ रहा है। पाकिस्तान काफी कोशिशों के बाद भी एलएनजी का प्रबंधन नहीं कर पा रहा है। इससे बिजली संयंत्र ठप हो गए हैं और पाकिस्तान को योजना बनाकर 12-12 घंटे से ज्यादा बिजली काटनी पड़ रही है। यह बिजली कटौती तब होती है जब पाकिस्तान के कई हिस्से लू की चपेट में हैं।
पाकिस्तान ने हाल के दिनों में बिजली बचाने के लिए कुछ आक्रामक कदम उठाए हैं। सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों को शनिवार की पाली से छुट्टी दी गई। सुरक्षाकर्मियों के बजट में भी 50 फीसदी की कटौती की गई है। शादी समारोहों पर भी रोक लगा दी गई है। उर्वरक संयंत्र को एलएनजी आपूर्ति बंद कर बिजली संयंत्र में अधिक संग्रहण किया जा रहा है। स्थिति यह है कि कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क भी नदारद है। बिजली की कमी के कारण टावर काम नहीं कर रहे हैं, और जनरेटर चलाने के लिए ऑपरेटरों के पास तेल नहीं बचा है।
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