शराब घोटाले पर हमलावर विपक्ष
घोटाले को दबाने का किया जा रहा प्रयास
सरकार माफियाओ को बचाने का कर रही काम
चंडीगढ़: CWC सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने भी हरियाणा सरकार को शराब घोटाले को लेकर जमकर कोसा. दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है. हरियाणा सरकार शराब घोटाले के असली गुनहगारों और चहेते शराब माफियाओं को बचाने के लिए सरकार आबकारी और गृह मंत्री के टकराव का ड्रामा कर रही है. शराब घोटाले के असली घोटालेबाज़ों तक पहुंचने के लिए हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच ज़रूरी है. सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि वे पहले दिन से ही इस बात की मांग कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि जब सारी दुनिया कोरोना से लड़ रही थी, तब हरियाणा सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोग शराब घोटाले, रजिस्ट्री घोटाले को अंजाम दे रहे थे.
शनिवार को दीपेन्द्र हुड्डा ने इनेलो नेता अभय चौटाला के बाद हरियाणा सरकार को शराब घोटाले को लेकर जमकर कोसा. इससे पहले विपक्ष लगातार शराब घोटाले को लेकर हरियाणा सरकार पर हमलावर रहा है. राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के आबकारी मंत्री और गृह मंत्री खुले तौर पर शराब घोटाले में एक दूसरे पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में दोनों मंत्रियों के पद पर रहते निष्पक्ष जांच संभव नहीं, इसलिए दोनों को जांच पूरी होने तक अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए.
दीपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि सरकार अपने ही बुने जाल में फंस गई है. शराब घोटाले को दबाने की तमाम साजिशें नाकाम हो रही हैं. मामले को दबाने के लिए जो SET बनाई गई थी, उसने भी अपनी रिपोर्ट में माना है कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में बड़ा शराब घोटाला हुआ है. ये घोटाला इतना बड़ा है कि अब लाख कोशिशों के बावजूद सरकार इसको दबा नहीं पा रही है. SET जांच में भी स्पष्ट हो गया है कि लॉकडाउन में अवैध बिक्री के हजारों मामले सामने आए है. पूरे प्रदेश में कई FIR दर्ज हुई. हैरानी की बात है कि इस दौरान ना सिर्फ नई शराब बनाई गई बल्कि, पिछले साल के स्टॉक को भी बेच दिया गया.
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पूरा प्रदेश इस घोटाले का गवाह है. लॉकडाउन में ठेके बंद रहते हुए भी हरियाणा में धड़ल्ले से शराब बिकी और हज़ारों करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई. अवैध तस्करी और चोर दरवाजे से महंगे दामों पर शराब की होम डिलीवरी तक की गई. शराब माफिया, प्रशासन और उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों ने गठजोड़ करके करोड़ों रुपए के इस शराब घोटाले को अंजाम दिया गया. उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक तौर पर और मीडिया में जब इस हाईलेवल घोटाले का पर्दाफाश हो गया तो सरकार ने इस पर पर्दा डालने की एक के बाद एक कई कोशिशें की. पहले जांच के लिए SIT बनाने का ऐलान हुआ, लेकिन मुख्यमंत्री ने SIT के बजाय SET बना दी. SET को ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का कोई अधिकार नहीं दिया गया. ना वो रिकॉर्ड खंगाल सकती थी, ना कोई महत्वपूर्ण काग़ज़ ज़ब्त कर सकती थी, ना गोदाम और डिस्टलरी की जांच कर सकती थी और ना ही मुकदमा दर्ज कर सकती थी.
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