बांग्लादेश की तरह नेपाल में होगा तख्तापलट! आखिर क्या है विवाद की असली वजह?

बांग्लादेश की तरह नेपाल में होगा तख्तापलट! आखिर क्या है विवाद की असली वजह?

Nepal Violence: हिंसा की आग में जल रहे नेपाल में अब प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद हो चुका है। हिंसक झड़पों और प्रदर्शनों के बाद नेपाल में 100से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों पर आरोप है कि इन्होंने प्रदर्शन और हिंसा के दौरान कई वाहनों और मकानों को आग के हवाले किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रशासन की मुस्तैदी के बाद अब हिंसा में आंशिक कमी देखने को मिल रही है. हिंसा में कमी के बाद अब तनावग्रस्त क्षेत्रों में कर्फ्यू में ढील दी जाने लगी है जबकि अधिकारियों ने कई अन्य क्षेत्रों से कर्फ्यू को हटाने का अहम फैसला भी लिया है। बता दें कि शुक्रवार, 28मार्च 2025को नेपाल की राजधानी काठमांडू के पूर्वी हिस्से में सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसके मद्देनजर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कैबिनेट की तत्काल बैठक बुलाई।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

राजधानी काठमांडू के कई हिस्सों में तनाव उस समय शुरू हुआ जब राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों ने पथराव करते हुए एक राजनीतिक दल के कार्यालय पर हमला बोला। तिनकुने क्षेत्र में इस दौरान कई दुकानों में लूटपाट की गई जबकि कई वाहनों को जलाकर स्वाहा कर दिया। हिंसक झड़प में एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हुई जबकि कई अन्य लोग घायल हुए। स्थिति पर काबू पाने के लिए कमान सेना को संभालनी पड़ी।

क्यों हो रहा है नेपाल में बवाल?

2008 में नेपाल में राजशाही शासन समाप्त हुआ था, तब से अबतक यहां 13 अलग-अलग सरकारों ने शासन किया. नेपाली लोगों ने इन सरकारों के प्रति हताशा और निराशा जताई है. नेपाल के लोगों ने अपनी निराशा के लिए भ्रष्टाचार, आर्थिक संघर्ष और अस्थिरता को जिम्मेदार ठहराया है. निराशा के बढ़ने के बाद ही अब फिर राजशाही की वापसी की मांग जोर पकड़ रही है. राजशाही के समर्थकों ने नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का खुलकर समर्थन किया है और उनकी बहाली की मांग भी कर दी है। मीडिया से बातचीत के दौरान राजशाही समर्थक राजेंद्र बहादुर खाती ने कहा, 'नेपाल में फिर से राजशाही की वापसी और राजा की वापसी की आवश्यक्ता है क्योंकि राजनीतिक दल और व्यवस्था पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं।"

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