2 बार नहीं साल में 4 बार आता है नवरात्रि का त्योहार, जानें क्या है इसके महत्व

2 बार नहीं साल में 4 बार आता है नवरात्रि का त्योहार, जानें क्या है इसके महत्व

नई दिल्ली: भारत एक संप्रभुता का देश है। यहां हर धर्म के लोग रहते हैं। सबकी अपने-अपने त्योहार और मानताएं हैं। यहां हर साल लोग त्योहार बड़े हर्ष उल्लास से मनाते हैं। हर त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई रहस्य या कारण तो जरुर छुपा होता हैं क्योकि प्राचीन भारतीय सभ्यता के लोग और ऋषि मुनि हमसे ज्यादा प्रकृति से जुड़े हुए थे। यहीं वजह है कि त्योहारों को मनाने के पीछे वो कई रहस्यमयाई कहानियां बताते हैं। ऐसे में बात करे दुर्गा पूजा कि तो हर साल पूरे देश इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इन नौ दिन भक्तजन माता की पूजा आराधना करते है और वर्त रखते है। पर क्या आप जानते है, नवरात्रि साल में 4 बार आती हैं? और इसके पीछे का क्या महत्व है?

नवरात्रि त्यौहार

नवरात्रि त्यौहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह त्यौहार हमें माँ दुर्गा के सभी नौ रूपों का दर्शन करने का सौभाग्य देता है और समाज में स्त्रियों के महत्व और उनके सामर्थ्य का ज्ञात करता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक भक्त मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं और मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत आदि भी किया जाता है। 

साल में 4 बार आते है नवरात्रि

बहुत कम लोग जानते होंगे कि नवरात्रि का त्योहार एक साल में 4 बार आते हैं। साल के प्रथम मास चैत्र में पहली नवरात्र होती है, फिर चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्र पड़ती है। इसके बाद अश्विन माह में में प्रमुख शारदीय नवरात्र होती है। साल के अंत में माघ माह में गुप्त नवरात्र होते हैं। इन सभी नवरात्रों का जिक्र देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। हिंदी कैलेंडर के हिसाब से चैत्र माह से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, और इसी दिन से नवरात्र भी शुरू होते हैं, लेकिन माना जाता है, कि चारों  नवारात्रों में चैत्र और शारदीय नवरात्र प्रमुख हैं। एक साल में यह दो नवरात्र मनाए जाने के पीछे की वजह भी अलग-अलग तरह की है।

शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri)

साल की ये नवरात्रि आश्विन माह में पड़ती है, इसमें भी 9 दिनों तक माता दुर्गा के 9 रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें जगह-जगह पूजा-पांडाल सजाए जाते हैं, जिसमें विशाल दुर्गा मां की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। कहा जाता है कि इसी महीने में महिषासुर और मां शक्ति का युद्ध हुआ था जो नौ महीने चला था। अश्विन माह के प्रतिपदा के दिन उन्होंने महिषासुर का वध कर दिया था।

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri)

ये नवरात्रि पौष और अषाढ़ के महीने में पडती हैं, हालांकि ये नवरात्रि गृहस्थों के लिए नहीं होती है। इसमें तंत्र साधना की जाती है। इसे मुख्य रूप से तंत्र साधना कर शक्ति अर्जित करने की मंशा से तांत्रिक मनाते हैं। इस नवरात्रि का आम प्रचलन न होने के कारण इसे ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है।

चैत्र मास नवरात्रि (Chaitra Navratri)

हिंदू धर्म में चैत्र माह का विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार चैत्र माह से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र माह की शुरुआत होते ही शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। ये माह साल मार्च और अप्रैल इस बीच में आता है। इस माह में राम नवमी का पर्व भी मनाया जाता है।

आषाढ़ मास नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri)

त्रेता युग में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि सबसे अधिक प्रचलित थी। इस नवरात्रि में अलौकिक और दिव्य शक्तियों के लिए साधक माता की उपासना करते हैं। इसलिए सामान्य गृहस्थों में इस नवरात्रि का प्रचलन कम है।

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