नई दिल्ली. देश में चैत्र नवरात्रि का त्योहार पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह माता रानी का त्योहार भारत में नौ दिनों तक मनाया जाता है. इस त्योहार की शुरूआत कलश स्थापना के साथ होती है. नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी को ही रामनवमी का भी त्योहार मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंद माता की पूजा का विधान है. इस दिन मां स्कन्दमाता को जौ बाजरे का भोग लगाया जाता है. लेकिन, अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक कष्टों का निवारण चाहिए तो इस दिन माता को केले का भोग लगाएं. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने की वजह से इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है. इनकी गोद में बालरूप में भगवान स्कंद विराजित हैं. मां स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं जिसमें दोनों हाथों में कमल पुष्प हैं. जबकि माता ने एक से हाथ से अपने बेटे कार्तिकेय को गोद में बैठा रखा है और दूसरे हाथ से अपना आशीर्वाद भक्तों को दे रही हैं.
अब आपको स्कंदमाता की पूजा विधि के बारे में बताते है.
1.नवरात्रि के पांचवे दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़ें पहन लें. मां की प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित करें. फिर कलश की उस पर स्थापना करें.
2. चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका भी स्थापित करें. अर्घ्य, आचमन, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, स्नान, चंदन, रोली, आवाहन, आसन, धूप-दीप, नैवेद्य, पान, दक्षिणा, आरती, पाद्य, हल्दी, बिल्वपत्र, आभूषण, सिंदूर, दुर्वा, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, फल, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें.
3.इसके साथ ही हाथ में फूल लेकर ”सिंहासनागता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी” मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां पर अर्पित करें. मां की विधिवत पूजा के बाद मां की कथा सुने और मां की धूप और दीप से आरती करें. फिर मां को केले का भोग लगाएं.
4. अब आपको माता स्कंद माता के मंत्र के बारे में बताते है. मां स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥ अथवा या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
इस बार चैत्र नवरात्रि के त्योहार की शुरूआत 25 मार्च को हुई थी. यह 2 अप्रैल तक चलेगा. बता दें कि इस दिन हिन्दु नव वर्ष की शुरूआत भी होती है.
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