धामी सरकार का खनन मॉडल बनी मिसाल, लघु खनिज सुधार में उत्तराखंड को मिला दूसरा स्थान

धामी सरकार का खनन मॉडल बनी मिसाल, लघु खनिज सुधार में उत्तराखंड को मिला दूसरा स्थान

Uttarakhand Mining Model:उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने खनन क्षेत्र में सुधारों के जरिए उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। केंद्र सरकार की हालिया समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य ने लघु खनिज सुधारों (माइनर मिनरल्स रिफॉर्म्स) में देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है, जिसके लिए राज्य को 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है। इससे पहले अक्टूबर 2025 में स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स (SMRI) में दूसरा स्थान पाने पर भी 100 करोड़ रुपये मिले थे, जिससे कुल प्रोत्साहन राशि 200 करोड़ रुपये हो गई है। ये सुधार न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल भी बन गए हैं।

लघु खनिज सुधारों में उत्तराखंड की उपलब्धि

बता दें, केंद्र सरकार की ऑफिस मेमोरैंडम के अनुसार, उत्तराखंड ने लघु खनिज सुधारों से जुड़े 7 प्रमुख मानदंडों में से 6 को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसके चलते यह देश में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हो गया है। समीक्षा में नागालैंड, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जैसे राज्यों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें उत्तराखंड का प्रदर्शन सबसे बेहतर पाया गया। SMRI की कैटेगरी C में भी राज्य ने दूसरा स्थान हासिल किया, जो खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, दक्षता और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है। मुख्यमंत्री धामी ने इन सुधारों को भ्रष्टाचार मुक्त और आधुनिक प्रणाली का परिणाम बताया है।

धामी सरकार की प्रमुख नीतियां

दरअसल, धामी सरकार ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें खनन लॉटों की आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाना, अवैध खनन पर सख्त नियंत्रण और माइनिंग सर्विलांस सिस्टम की शुरुआत शामिल है। डिजिटल ट्रैकिंग और निरीक्षण को मजबूत किया गया है, साथ ही ई-नीलामी प्रणाली अपनाई गई है, जो पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देती है। इन नीतियों के चलते पिछले चार सालों में खनन राजस्व में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में ही राजस्व 1100 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जो पहले की तुलना में 800 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्शाता है। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिला है, हजारों व्यापारियों और उद्यमियों को आर्थिक लाभ हुआ है, और स्थानीय स्तर पर निर्माण सामग्री सस्ती उपलब्ध हो रही है।  

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