UP सरकार का बड़ा फैसला...कक्षा 6 से 8वीं तक, साल में होंगे 10 ‘Bagless Days’

UP सरकार का बड़ा फैसला...कक्षा 6 से 8वीं तक, साल में होंगे 10 ‘Bagless Days’

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूल-going बच्चों के लिए एक दिलचस्प और राहत देने वाला फैसला लिया है। राज्य के सरकारी स्कूलों में अब कक्षा 6से 8तक के छात्रों के लिए पूरे शैक्षणिक वर्ष में 10 ‘Bagless Days’ रखे जाएंगे। इस दिन छात्र न तो भारी भरकम बैग लेकर आएंगे और न ही केवल किताबों-कॉपी वाली पारंपरिक क्लासें होंगी। लंबे समय से पैरेंट्स और बच्चों की यह शिकायत थी कि बढ़ता हुआ स्कूल बैग का वजन शारीरिक और मानसिक तनाव बढ़ा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि आनंददायक अनुभव बनाने की दिशा में यह बड़ा निर्णय लिया है।

सरकार का मानना: अनुभव से होती है असली सीख

राज्य सरकार का कहना है कि बच्चे केवल पुस्तकों से नहीं, बल्कि अनुभवों से ज्यादा सीखते हैं। आउटडोर लर्निंग, खेल और विभिन्न गतिविधियां बच्चों की समझ बढ़ाती हैं और उनके अंदर आत्मविश्वास भी पैदा करती हैं। ‘Bagless Days’ का उद्देश्य बच्चों के अंदर की creativity और natural curiosity को बढ़ावा देना है ताकि वे मज़े के साथ सीखें और किताबों के डर से बाहर निकलें।

इन दिनों होगा क्या-क्या?

यह दिन किसी छुट्टी की तरह नहीं बल्कि सीखने के नए तरीके की तरह होगा। छात्रों के लिए खेल-कूद, दौड़, टीम गेम, ग्राउंड एक्टिविटीज़, स्पोर्ट्स टास्क, ग्रुप वर्क जैसी गतिविधियां कराई जाएंगी। बच्चों की सोच और सार्वजनिक बोलने की क्षमता बढ़ाने के लिए भाषण, वाद-विवाद और GK क्विज़ शामिल होंगी। कभी-कभी छात्रों को क्लासरूम के बाहर ले जाकर पिकनिक या शैक्षिक भ्रमण कराया जाएगा। वहीं ड्राइंग, पेंटिंग, म्यूजिक, डांस और छोटे थिएटर एक्ट जैसी क्रिएटिव एक्टिविटीज़ उनके कलात्मक विकास को बढ़ावा देंगी। साथ ही छोटे-छोटे प्रोजेक्ट बनवाए जाएंगे जिससे बच्चे “करके सीखने” की प्रक्रिया से गुजरें।

बच्चों की पढ़ाई में आएंगे बड़े बदलाव

‘Bagless Days’ लागू होने के बाद बच्चों में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे —

  • तेज सोचने की क्षमता (Critical Thinking)
  • समस्या हल करने की आदत (Problem Solving)
  • टीम में काम करने का आत्मविश्वास (Teamwork)
  • नई चीजें सीखने का उत्साह (Curiosity & Interest)
  • तनाव से मुक्ति (Stress-Free Learning)

सरकार का मानना है कि यह कदम बच्चों की सीखने की गुणवत्ता को बढ़ाएगा और शिक्षा को बोझ नहीं, बल्कि एक सुखद अनुभव बनाएगा।

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