माओवादी नेटवर्क पर सुरक्षा बलों का प्रहार, 1 करोड़ का इनामी हिडमा समेत 6 नक्सली मुठभेड़ में ढेर

माओवादी नेटवर्क पर सुरक्षा बलों का प्रहार, 1 करोड़ का इनामी हिडमा समेत 6 नक्सली मुठभेड़ में ढेर

Hidma Killed In Encounter:सुरक्षा बलों ने माओवादी विद्रोह को बड़ा झटका देते हुए कुख्यात नेता मडवी हिडमा को मार गिराया है। 18 नवंबर को आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामा राजू जिले में हुई मुठभेड़ में हिडमा समेत कुल छह माओवादियों की मौत हो गई। हिडमा पर एक करोड़ रुपये का इनाम था और वह कम से कम 26 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था, जिनमें सुरक्षा बलों और नागरिकों पर घातक अटैक शामिल हैं।

कहां-कैसे हुई मुठभेड़?

दरअसल, यह मुठभेड़ आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमाओं के ट्राई-जंक्शन पर स्थित मरेदुमिल्ली इलाके में हुई। पापिकोंडा नेशनल पार्क के जंगलों में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच सुबह-सुबह गोलीबारी शुरू हुई। आंध्र प्रदेश पुलिस के अनुसार, माओवादियों ने पहले फायरिंग की, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने कार्रवाई की। घंटों चली इस मुठभेड़ में छह माओवादी मारे गए, जिनमें दो महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं। मरने वालों में हिडमा भी शामिल हैं, जो भारत के 'मोस्ट वांटेड' माओवादी कमांडरों में से एक था।

मारे गए अन्य माओवादियों में हिडमा की पत्नी राजक्का (या राजे), चेल्लुरी नारायण, सुरेश एसजेडसीएम और टेक शंकर शामिल हैं। सुरक्षा बलों ने मौके से हथियारों का जखीरा भी बरामद किया है। आंध्र प्रदेश पुलिस के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि यह ऑपरेशन माओवादियों की गतिविधियों पर नजर रखने के बाद प्लान किया गया था।  घटना के बाद इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है, क्योंकि बाकी माओवादियों के छिपे होने की आशंका है।

हिडमा कौन था?

मडवी हिडमा को संतोष के नाम से भी जाना जाता था, जो सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमिटी का सदस्य था। वह छत्तीसगढ़ के सुकमा इलाके का मूल निवासी था और माओवादियों की मिलिट्री विंग का प्रमुख कमांडर माना जाता था। हिडमा पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कुल एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। बता दें, वह उन चुनिंदा माओवादी नेताओं में से एक था जो लंबे समय से सुरक्षा बलों की पहुंच से बाहर था।

जानकारी के अनुसार, हिडमा को कई बड़े हमलों का जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिनमें शामिल हैं - 2010 दंतेवाड़ा हमला, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवानों की मौत हुई थी। इसके अलावा 2013 में झीरम घाटी नरसंहार में 27 लोगों की हत्या की गई। 2021 में सुकमा-बीजापुर एम्बुश में 22 सुरक्षा कर्मी शहीद हुए थे।  

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