8th Pay Commission के गठन को सरकार ने दिखाई हरी झंडी, SC की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई बनीं अध्यक्ष

8th Pay Commission के गठन को सरकार ने दिखाई हरी झंडी, SC की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई बनीं अध्यक्ष

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) के गठन को अंतिम रूप दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को आयोग के सभी टर्म और कंडीशन को मंजूरी दे दी है। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को 8वें वेतन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि आईआईएम बैंगलोर के प्रोफेसर पुलक घोष को अंशकालिक सदस्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन को सदस्य-सचिव बनाया गया है। यह फैसला लगभग 50लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69लाख पेंशनभोगियों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि आयोग की सिफारिशें 01जनवरी 2026से लागू होंगी।

आयोग का गठन और संरचना

बता दें, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए 8वें वेतन आयोग से जुड़े फैसले की घोषणा सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की। आयोग एक अस्थायी निकाय होगा, जिसमें अध्यक्ष के अलावा एक अंशकालिक सदस्य और एक सदस्य-सचिव शामिल होंगे। जस्टिस देसाई, जो सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रह चुकी हैं और सीमांकन आयोग की भी अगुवाई कर चुकी हैं। प्रोफेसर पुलक घोष, जो आईआईएम बैंगलोर में प्रोफेसर हैं, आर्थिक और वित्तीय मामलों में विशेषज्ञता रखते हैं, जबकि पंकज जैन ऊर्जा क्षेत्र के वरिष्ठ प्रशासक के रूप में आयोग को प्रशासनिक मजबूती प्रदान करेंगे।

आयोग का गठन अगले सप्ताह औपचारिक रूप से हो जाएगा और यह 18 महीनों के भीतर अपनी मुख्य रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। यदि आवश्यक हो, तो विशिष्ट मुद्दों पर अंतरिम रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जा सकती है।

8वें वेतन आयोग की टर्म और कंडीशन

  1. समग्र आर्थिक स्थिति और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता।
  2. विकास और कल्याणकारी व्यय के लिए संसाधनों की उपलब्धता।
  3. गैर-अवदान आधारित पेंशन योजनाओं से उत्पन्न होने वाले अनफंडेड खर्च।
  4. राज्य सरकारों के वित्त पर प्रभाव, क्योंकि कई राज्य केंद्रीय सिफारिशों को संशोधित रूप में अपनाते हैं।
  5. केंद्रीय लोक उद्यमों (सीपीएसयू) और निजी क्षेत्र में तुलनात्मक वेतन संरचनाएं एवं कार्य स्थितियां।

बता दें, ये शर्तें सुनिश्चित करेंगी कि सिफारिशें न केवल कर्मचारियों के हितों की रक्षा करें, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता को भी मजबूत बनाएं। वेतन, भत्ते और पेंशन फॉर्मूले में संशोधन के अलावा, आयोग मेडिकल बीमा, भविष्य निधि और महंगाई भत्ता जैसे लाभों की समीक्षा करेगा।

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