Delhi Diwali Pollution: दिल्ली-NCR में दिवाली की रौनक के बीच जहरीली धुंध ने शहर को घेर लिया। त्योहार की चमक-दमक के साथ ही पटाखों के धुएं ने हवा को जहर बना दिया, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर चार साल के सबसे बुरे हालात में पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिवाली की रात और अगले दिन पीएम2.5का स्तर 675माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सुरक्षित मानक (15माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से 45गुना अधिक है। यह आंकड़ा 2021के बाद का सबसे ऊंचा है, जब पीएम2.5 728तक पहुंचा था।
दिवाली पर प्रदूषण ने तोड़ा रिकॉर्ड
साल 2025में दिवाली 20अक्टूबर को मनाई गई और शाम होते ही पटाखों की बौछार शुरू हो गई। CPCB के डेटा से पता चलता है कि दोपहर 4बजे पीएम2.5का स्तर 91माइक्रोग्राम था, जो रात 10बजे तक 537पर पहुंच गया, जबकि आधी रात को चरम पर 675छू लिया। कुछ इलाकों जैसे नेहरू नगर, आरके पुरम और पंजाबी बाग में यह 1,400से 1,800तक पहुंच गया। क्लाइमेट ट्रेंड्स की एक स्टडी के अनुसार, 2021से 2025तक के डेटा में यह सबसे तेज एक रात का प्रदूषण वृद्धि है।
पिछले चार सालों के डेटा
इस साल का स्तर न सिर्फ ऊंचा था, बल्कि पोस्ट-दिवाली औसत पीएम2.5 488माइक्रोग्राम रहा, जो त्योहार से पहले के 156.6से 212%ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'ग्रीन पटाखों' की छूट के बावजूद लोगों ने समय सीमा (रात 8से 10बजे) का पालन नहीं किया।
मौसम की मार
प्रदूषण की यह लहर सिर्फ पटाखों तक सीमित नहीं है। कम हवा की गति (1 मीटर प्रति सेकंड से कम) और तापमान में अचानक गिरावट (27°C से 19°C) ने 'टेम्परेचर इनवर्शन' पैदा किया, जो प्रदूषकों को जमीन के करीब कैद रखता है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं 77% कम हुईं, पंजाब में 105 और हरियाणा में 70 फायर, फिर भी वाहनों के धुएं, उद्योग और धूल ने समस्या को बढ़ावा दिया। बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन ने हवाओं को शांत रखा, जिससे प्रदूषण फैलने का मौका ही नहीं मिला।
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