
IndiGo Shares Fall:इंडिगो एयरलाइन का चल रहा संकट अब उसके शेयर बाजार प्रदर्शन पर भी भारी पड़ रहा है। पायलटों की कमी और नए ड्यूटी टाइम नियमों (FDTL) के कारण बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द होने से कंपनी के शेयरों में तेज गिरावट आई है। दिसंबर 2025 के पहले हफ्ते में ही शेयरों में करीब 9-10.7% की गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले छह महीनों में हुई कुल गिरावट (करीब 2%) से कहीं अधिक है। शुक्रवार 6 दिसंबर को शेयर 2.5-3% तक गिरकर 5,270-5,298 रुपये के स्तर पर पहुंच गए, जो पांच महीनों का निचला स्तर है। यह गिरावट जून 2022 के बाद की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ रही है।
इंडिगो शेयरों की गिरावट
बता दें, इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड के शेयरों ने दिसंबर की शुरुआत में ही तेज गिरावट दिखाई। बीएसई सेंसेक्स में जहां 0.1% की मामूली गिरावट आई, वहीं इंडिगो के शेयर 10.7% तक लुढ़क गए। पिछले पांच कारोबारी दिनों (02-06 दिसंबर) में शेयर 8-9% गिरे, जबकि पिछले छह महीनों (जून-नवंबर 2025) में कुल गिरावट सिर्फ 2% से थोड़ी अधिक रही। 05 दिसंबर को शेयर 1.22% गिरकर 5,370.50 रुपये पर बंद हुए, जबकि इंट्राडे में यह 5,266 तक गिरा। 04 दिसंबर को क्लोज 5,437.60 रुपये था।
इतना ही नहीं, इससे पहले के दिनों में भी लगातार गिरावट देखी गई। कंपनी के शेयरों का 52-वीक हाई 6,232.50 रुपये (अगस्त 2025) और लो 3,945 रुपये रहा है। 2025 में अब तक शेयरों में 17% की बढ़त दर्ज की गई है, लेकिन यह संकट उस लाभ को प्रभावित कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर संकट लंबा खिंचा, तो शेयर 5,000 रुपये तक गिर सकते हैं।
इंडिगो फ्लाइट संकट के कारण
दरअसल, यह संकट पायलट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस (FDTL) के नए नियमों से जुड़ा है, जो पायलटों की थकान को रोकने के लिए लागू किए गए थे। इंडिगो ने इन नियमों के अनुरूप पायलटों की रोस्टरिंग नहीं की, जिससे पायलटों की कमी हो गई। एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5% तक गिर गया, जो किसी बड़ी एयरलाइन के लिए सबसे कम है। पायलट संघों ने नियमों में अस्थायी छूट का विरोध किया है, लेकिन DGCA ने इंडिगो को फरवरी 2026 तक अस्थायी राहत दी है। यह संकट कंपनी की साख, राजस्व और लाभ को प्रभावित कर रहा है, जिससे निवेशक घबरा रहे हैं। इंडिगो का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5% तक गिर गया, जो एयरलाइन इंडस्ट्री में चिंता का विषय है। इसके अलावा रिफंड और वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर खर्च बढ़ने से तिमाही नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।
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